बुधवार, 13 जून 2018

अय मेरी भारत माता

नित्य करू मैं साधना,

जितेश सिंह, छात्र
अबिवाहिविवि, भोपाल


फिर भी स्वार्थ बढ़ता जाए
कौन सा मैं त्याग कर
बन पाऊगा भगत, आजाद!


इतना जान गया हूं
केवल फुल अर्पित कर
नहीं पुर्ण होती आराधना|


मन पवित्र करके करूगा
मैं तेरी आराधना!
मानवता का
नव इतिहास रच
मैं करू तेरी साधाना!


मंदिर मंदिर जा ना पाऊ
फिर भी मन में करूगा!
मैं साधाना...

तेरा आशीर्वाद मिले मुझे|
मैं ऐसी करू तेरी साधाना..
है विश्वास तुझपे एक दिन
तु ही दुर करेगी अंधकार को! 


अय मेरी भारत माता
मैं पुत्र और भक्त भी हूँ
तेरा वैभव अमर रखुंगा
तन मन और धन
अर्पित करके .....
                   

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