शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

हिंदुत्व ही मेरा पक्ष है

राष्ट्रीय शक्ति का एकत्रितकरण होकर रहेंगा। आने वाले वर्षों में अपना देश, हमारी मातृ भूमि विश्व मानवता का, विश्व शांति का, विश्व समृद्धि का, विकास और प्रकृति संरक्षण का, मनुष्य ही नहीं, बल्की मोमिन और यीशु के बच्चे को भी मानवीय संभ्यता का पाठ पढ़ाने वाला है। वर्तमान का यह वर्ष 2020 एक युग सन्धि का दशक है। भारत समस्त आसुरी शक्तियों को नष्ट करके,
दुनिया में वैदिक धर्म, सनातन धर्म अर्थात हिन्दू धर्म की भगवा पताका लहराएगा। इससे पहले भाइयों कई प्रकार से ये आसुरी शक्तियां हमारे दैवीय कार्य में विध्न बाधा उतपन्न करने का प्रयास करेगी। हम जिन बिंदुओं पर कमजोर है वहां पर इन राक्षसी प्रवृति वाले प्रहार करेंगे। आज हम सब यही संदेश लेकर जाये हमनें जो भूले अब तक कि है। उसे कोसने का वक्त नहीं, उस पर भाषण देने का समय नहीं। यह समय है उन भूलों, उन दोषों का निराकरण करने का, उन पर विजय पाने का। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1925 से यही कार्य में लगा है हिंदुओं का संगठन। और यही मूल मंत्र को गाते हुए आगे बढ़ रहा है -
                                हिन्दव सोधरा सर्वे, न हिन्दू पतितो भवे।
                               मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मंत्र समानता।।
अपने लक्ष्य के लिए सेतु के निर्माण में लगा है। हम सब  जानते है, जब त्रेता में भगवान राम का अवतार हुआ, तो उन्हें रावण जैसे वैश्विक आंतकी से युद्ध करना पड़ा। उससे पहले युद्ध की तैयारी होती है। भगवान राम जिस स्थान पर रुके थे जहां से रावण ने मां जानकी का अपहरण किया था, उससे कुछ दूरी पर ही उनके मामा का राज्य था, किन्तु भगवान ने उनकी सहायता नहीं ली, वो अयोध्या से चतुरंगी सेना मंगवा सकते थे। किंतु श्री राम ने यह भी किया। किया क्या वनवासियों, दलितों और वानरों की सेना का निर्माण किया। उन्हें प्रशिक्षण दिया और रावण जैसे अत्याचारी के वध के लिए तैयार किया। दोस्तों हमें भी ऐसे ही राम सेना का निर्माण करना है वह सेना कहाँ है वह सेना गांव में, तमान अभावग्रस्त पीड़ित वंचित समाज है खेतिहर किसान मजदूर है, जिसके पेट में अन्न नहीं शरीर पर वस्त्र नहीं। यही से भारत जागेगा हमें उनका संगठन करना है। इसलिए एक रणयुद्ध की तैयारी के लिए हमें बाजीराव पेशवा, मिहिर भोज, राणा सांगा, महाराणा प्रताप और शिवजी महाराज की भांति एक दिन में 16-16 घण्टे तक कठोरतम तप कर उनका संगठन  करता है। उनको प्रशिक्षित करना, उनको स्वावलंबी करना है, जिससे कोई यीशु का बच्चा पादरी, या कोई मोमिन मौलाना उसे पैसे, बल या छल किसी रूप में धर्म परिवर्तन न कर सके। आज हमने यह प्रतिज्ञा को दुहराना होगा हम हिन्दू है, सम्पूर्ण हिन्दू समाज तुलसी के पत्ते के भाँति पवित्र है। उसके आकर से उससे गुण नहीं बदलते है। सारा समाज अपना है हम सारे समाज के है। 

गुरुवार, 16 जनवरी 2020

सेवा बस्ती में RSS ने मनाया मकर संक्रांति

मकर संक्रांति के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक 
संघ ने सेवा बस्ती में दलित, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजातिओं और 2008 के भीषण कोशी बाढ़ के बाद अपना घर-बाड़, जमीन संपति को छोड़कर पुनर्वास में निवास कर रहे। उन सभी अभावग्रस्त समाज के बीच समरसता उत्सव के रूप में मकर संक्रांति को मनाया। इस अवसर पर आरएसएस के सुपौल जिले के सहसंचालक मान्यवर संतोष अग्रवाल जी उपस्थित रहे। जिले के कार्यवाह श्रीमान आदित्य झा जी, सेवा प्रमुख राजेन्द्र जी, सहसेवा प्रमुख रामनरेश कौशिकी जी, जिला बौद्धिक प्रमुख बालकृष्ण जी, जिला महाविद्यालयिन प्रमुख संजीव कुमार सोनू, नगर कार्यवाह श्रीमान विकास जी, संपर्क प्रमुख मणिकांत श्रवण जी, व्यवस्था प्रमुख रजनीश जी, बाल प्रमुख विवेक जी और नगर के स्वयंसेवक बन्धु उपस्थित रहें। मकर सक्रांति उत्सव संघ के छः प्रमुख उत्सवों में एक है। संघ इसे समरसता उत्सव के तौर पर अपने स्थापना के बाद से ही मानता आ रहा है। मुख्यरूप से संघ इसे अस्पृश्यता के विरूद्ध सामाजिक क्रंति के रूप में मानता है। ऐसे वंचित समाज जिसे समाज ने वर्षों के अछूत कह के उनका मानभंग किया, उनका तिरस्कार किया हो, संघ ऐसे वंचितों के बीच मकर संक्रांति जैसे कई कार्यक्रम एवम उत्सवों का आयोजन करता है। संघ के सभी स्वयंसेवक चाहे वो किसी भी वर्ग के हो, सहज समर्पित और उत्साहपूर्वक बिना किसी पूर्वाग्रह के इसमें भाग लेते है। अब तो संघ के प्रयास से समाज के सज्जन पुरुष भी ऐसे उत्सवों, कार्यक्रमों के माध्यम से सेवा को स्वीकार करके उनके तरफ हाथ बढ़ाना शुरू किया। इसके पीछे संघ के स्वयंसेवक तपस्या रही है। शाखा के माध्यम से पहले खेल-खेल में संघ के स्वयंसेवक पक्का हिन्दू बने। जिनका ध्येय हिन्दू धर्म, हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू समाज का सर्वांगीण विकास रहा है। उन स्वयंसेवकों ने अपने आचरण व्यवहार कृतत्व से समाज में एक विमर्श को जन्म दिया। जिसने आज इस समाज विरोधी अस्पृश्यता को बहुत हद तक समाप्त कर दिया है। इस बार भी संघ के सुपौल नगर के स्वयंसेवकों ने मकर संक्रांति उत्सव के लिए ऐसे ही बस्ती का चयन किया जहां वंचित समाज की बहुलता थी,अमठो ख़रेल पुर्नवास और झकराही। झकराही में यह कार्यक्रम सुबह 8:30 से प्रारंभ हुआ और अमठो में 2:00 बजे से। अमठो में जिले से सेवा प्रमुख राजेन्द्र जी ने कहां कि मकर संक्रांति पर्व हिन्दू समाज की मूर्खता नहीं, दुनिया को अपने महान धर्म की ज्ञान शक्ति, वैज्ञानिकता का एक परिचय है। सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा। यह बात हजारों वर्ष पहले भारतीय मनीषियों ने बताया दिया था, जबकि कुछ वर्ष पहले दुनिया को यह ज्ञान हुआ। उन्होंने ये भी कहा इस पर्व को हिन्दू समाज दुनिया के चाहे किसी भी कोने में निवास करता हो बड़े हर्षोल्लास से मनाता है। तिल और गुड़ हमारे समाज के सामाजिक एकता बंधुत्व का परिचय है। यह परिचय है, सम्पूर्ण हिन्दू एक है। लाख विविधता के बावजूद एकता के सूत में ऐसा बँधा है जिसके बंधन को हजार वर्षों तक विदेशी शक्तियों ने काटने का प्रयास किया, किन्तु असफल रहा। हम सामज से शिक्षित लोग, सज्जन लोग आज ऐसे बस्तियों में जहाँ राम और रोटी एक साथ रहते है, नहीं पहुंचे, उनको गले नहीं लगाए तो वो उदासीन हो जाएंगे फिर समाज बांटने की संभावनाएं बढ़ सकती है। क्यों कि आज विदेशी ताकते ऐसे लोगों के बीच धन बल छल से हिन्दू समाज से अलग करने में लगी है। इसलिए हमनें और शक्ति से इनके बीच अपना विस्तार करना होगा। इससे संपर्क करना होगा। उन्होंने ने ये भी कहा आज के उत्सव से ग्रामीणों में संघ को लेकर एक आशा का स्वरूप का दिखा है हम इसे हर सम्भव पूरा करेंगे। 
भारत माता की जय!

कांग्रेस की निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में भारी गिरावट के पूर्वानुमान

भविष्य में क्या होंगी, मैं नहीं जनता हूँ |  इस दौर में बहुत लोग अभिव्यक्ति की आजादी का अलाप जप रहे है |  तो मुझे भी संविधान के धारा  19  क...