गुरुवार, 16 जनवरी 2020

सेवा बस्ती में RSS ने मनाया मकर संक्रांति

मकर संक्रांति के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक 
संघ ने सेवा बस्ती में दलित, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजातिओं और 2008 के भीषण कोशी बाढ़ के बाद अपना घर-बाड़, जमीन संपति को छोड़कर पुनर्वास में निवास कर रहे। उन सभी अभावग्रस्त समाज के बीच समरसता उत्सव के रूप में मकर संक्रांति को मनाया। इस अवसर पर आरएसएस के सुपौल जिले के सहसंचालक मान्यवर संतोष अग्रवाल जी उपस्थित रहे। जिले के कार्यवाह श्रीमान आदित्य झा जी, सेवा प्रमुख राजेन्द्र जी, सहसेवा प्रमुख रामनरेश कौशिकी जी, जिला बौद्धिक प्रमुख बालकृष्ण जी, जिला महाविद्यालयिन प्रमुख संजीव कुमार सोनू, नगर कार्यवाह श्रीमान विकास जी, संपर्क प्रमुख मणिकांत श्रवण जी, व्यवस्था प्रमुख रजनीश जी, बाल प्रमुख विवेक जी और नगर के स्वयंसेवक बन्धु उपस्थित रहें। मकर सक्रांति उत्सव संघ के छः प्रमुख उत्सवों में एक है। संघ इसे समरसता उत्सव के तौर पर अपने स्थापना के बाद से ही मानता आ रहा है। मुख्यरूप से संघ इसे अस्पृश्यता के विरूद्ध सामाजिक क्रंति के रूप में मानता है। ऐसे वंचित समाज जिसे समाज ने वर्षों के अछूत कह के उनका मानभंग किया, उनका तिरस्कार किया हो, संघ ऐसे वंचितों के बीच मकर संक्रांति जैसे कई कार्यक्रम एवम उत्सवों का आयोजन करता है। संघ के सभी स्वयंसेवक चाहे वो किसी भी वर्ग के हो, सहज समर्पित और उत्साहपूर्वक बिना किसी पूर्वाग्रह के इसमें भाग लेते है। अब तो संघ के प्रयास से समाज के सज्जन पुरुष भी ऐसे उत्सवों, कार्यक्रमों के माध्यम से सेवा को स्वीकार करके उनके तरफ हाथ बढ़ाना शुरू किया। इसके पीछे संघ के स्वयंसेवक तपस्या रही है। शाखा के माध्यम से पहले खेल-खेल में संघ के स्वयंसेवक पक्का हिन्दू बने। जिनका ध्येय हिन्दू धर्म, हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू समाज का सर्वांगीण विकास रहा है। उन स्वयंसेवकों ने अपने आचरण व्यवहार कृतत्व से समाज में एक विमर्श को जन्म दिया। जिसने आज इस समाज विरोधी अस्पृश्यता को बहुत हद तक समाप्त कर दिया है। इस बार भी संघ के सुपौल नगर के स्वयंसेवकों ने मकर संक्रांति उत्सव के लिए ऐसे ही बस्ती का चयन किया जहां वंचित समाज की बहुलता थी,अमठो ख़रेल पुर्नवास और झकराही। झकराही में यह कार्यक्रम सुबह 8:30 से प्रारंभ हुआ और अमठो में 2:00 बजे से। अमठो में जिले से सेवा प्रमुख राजेन्द्र जी ने कहां कि मकर संक्रांति पर्व हिन्दू समाज की मूर्खता नहीं, दुनिया को अपने महान धर्म की ज्ञान शक्ति, वैज्ञानिकता का एक परिचय है। सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा। यह बात हजारों वर्ष पहले भारतीय मनीषियों ने बताया दिया था, जबकि कुछ वर्ष पहले दुनिया को यह ज्ञान हुआ। उन्होंने ये भी कहा इस पर्व को हिन्दू समाज दुनिया के चाहे किसी भी कोने में निवास करता हो बड़े हर्षोल्लास से मनाता है। तिल और गुड़ हमारे समाज के सामाजिक एकता बंधुत्व का परिचय है। यह परिचय है, सम्पूर्ण हिन्दू एक है। लाख विविधता के बावजूद एकता के सूत में ऐसा बँधा है जिसके बंधन को हजार वर्षों तक विदेशी शक्तियों ने काटने का प्रयास किया, किन्तु असफल रहा। हम सामज से शिक्षित लोग, सज्जन लोग आज ऐसे बस्तियों में जहाँ राम और रोटी एक साथ रहते है, नहीं पहुंचे, उनको गले नहीं लगाए तो वो उदासीन हो जाएंगे फिर समाज बांटने की संभावनाएं बढ़ सकती है। क्यों कि आज विदेशी ताकते ऐसे लोगों के बीच धन बल छल से हिन्दू समाज से अलग करने में लगी है। इसलिए हमनें और शक्ति से इनके बीच अपना विस्तार करना होगा। इससे संपर्क करना होगा। उन्होंने ने ये भी कहा आज के उत्सव से ग्रामीणों में संघ को लेकर एक आशा का स्वरूप का दिखा है हम इसे हर सम्भव पूरा करेंगे। 
भारत माता की जय!

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