घाट पर हाथी-कोशिया भरात बा।
*****
गाँव-गिराव में श्रद्धा उमड़ल
गंगाघाट बा सजल-धजल
निरियल, केला, ऊँख, ठेकुआ भरल दउरा से
सुरुजदेव के अर्घ पड़ल।
लईकन सभे नया पहिन के
चहलकदमी कईले बा,
बुढ़वन के भी धोती-कुरता नया बा
जवनकन लोग भी नया-नया सिअईले बा।
छठी मईया के गीत-भजन से
घर-अंगना सुहावन लागत बा,
'केरवा जे फरेला घवद से'
छठव्रती सभे गावत बा।
चारोओर सुहावन लागे
घाट पर हाथी-कोशिया भरात बा,
डूबइत-उगइत दूनो बेरिया
आदितमल के गोर लगात बा।
छठ पर्व से जीवन में
नया ऊर्जा के संचार होखेला,
सुरुजदेव के कृपा होला
सालभर दुख-दलिद्दर के
आदितमल रोकेला।
छठी मईया के कृपा अपने सब पर लगातार बनल रहे। इहे कामना के साथ-
अपने के
गणिनाथ सहनी, रेवा
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गाँव-गिराव में श्रद्धा उमड़ल
गंगाघाट बा सजल-धजल
निरियल, केला, ऊँख, ठेकुआ भरल दउरा से
सुरुजदेव के अर्घ पड़ल।
लईकन सभे नया पहिन के
चहलकदमी कईले बा,
बुढ़वन के भी धोती-कुरता नया बा
जवनकन लोग भी नया-नया सिअईले बा।
छठी मईया के गीत-भजन से
घर-अंगना सुहावन लागत बा,
'केरवा जे फरेला घवद से'
छठव्रती सभे गावत बा।
चारोओर सुहावन लागे
घाट पर हाथी-कोशिया भरात बा,
डूबइत-उगइत दूनो बेरिया
आदितमल के गोर लगात बा।
छठ पर्व से जीवन में
नया ऊर्जा के संचार होखेला,
सुरुजदेव के कृपा होला
सालभर दुख-दलिद्दर के
आदितमल रोकेला।
छठी मईया के कृपा अपने सब पर लगातार बनल रहे। इहे कामना के साथ-
अपने के
गणिनाथ सहनी, रेवा