रविवार, 21 जुलाई 2019

जबरदस्त है 'सुपर 30' की कहानी

जितेश कुमार 
आज सुपर 30 मूवी देखकर आया हूँ। अपने दोस्त के साथ मूवी देखने गया था। वैसे मैं इस मूवी से कही अधिक पहले से आंनद सर के बारे में जनता हूँ, क्यों कि मैं बिहारी हूँ। आज मूवी को देखकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। 
आनंद कुमार के द्वारा संचालित 'सुपर 30' किसी परिचय का मोहताज नही है। अब तक आनंद कुमार के प्रयास से 450 होनहार छात्रों ने IIT में दाखिला लिया है। सुपर 30 के माध्यम से ऐसे ऐसे  छात्र निकले है, जिनके लिए आगे की पढ़ाई करना नामुमकिन था।
आर्थिक तंगी से निराश हताश छात्रों को आनंद कुमार ने गले लगाया और फिर से उनके मन में पढ़ाई की ललक पैदा की। उन छात्रों को उस मुकाम तक पहुंचाया जो उनके लिए सपने जैसा था। जिस प्रकार के सामाजिक परिवेश में हम रहते हैं। ऐसे में आनंद कुमार जैसे व्यक्ति विरले ही मिलते हैं। बिहार के लाल ने जो कारनामा करके दिखाया है, अकल्पनीय है। बिहार इनके प्रयास को नमन करता है। सुपर 30 की सफलता को पहली बार फिल्म के माध्यम से दिखाया जा रहा है। कुछ दिन पहले ही सुपर 30 मूवी रिलीज हुई है।  आप जरूर देखें होंगे नहीं देखे तो दिखियेगा जरूर। इस फिल्म में ऋतिक रोशन ने आनंद कुमार का रोल निभाया है और अभिनेत्री मृणाल ठाकुर मूवी में आनंद कुमार की प्रेमिका है। फिल्म में जाने-माने अभिनेता पंकज त्रिपाठी भी हैं। पहली बार ऋतिक रोशन भले ही बिहारी रोल दिखे हो। पंकज त्रिपाठी तो बिहारी ही है। वो बिहार के गोपालगंज से है। 
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ना जाने का दर्द क्या होता है, इससे भली-भांति आनंद कुमार परिचित थे! शायद यही मन की टीस उन्हें गरीब काबिल बच्चों के सपने पूरे करने को प्रेरित करता है। इसमें उनके पूरे परिवार का उनको सहयोग मिला। पिता के मृत्यु के पश्चात घर की दयनीय स्थिति थी आनंद कुमार और उनके भाई को वही पटना के गलियों में  पापड़ बेचना पड़ा था। जहां के वो आज स्टार हीरो है। सुपर 30 जैसे निशुल्क संस्थान चलाने के लिए आनंद कुमार के पास  हौसला और शिक्षा के अलावे कुछ नहीं था। परिस्थिति भी अनुकूल नहीं थी। हिंसक पशुओं की तरह शिक्षा को बिजनेस बना चुके शैक्षणिक संस्थान और कोचिंग सेंटर उनको नोच कर खा जाने को उतारू थी। कई बार उन पर हमला हुआ, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं छोड़ो। आज वो करके दिखाया जिस पर किसी भी भरतीय को गर्व होता है। सुपर 30 फिल्म के जरिये उनके कृत्यों को आज देश ने देखा है। और उन बच्चों की स्थिति भी जिनके पास कॉपी किताब खरीदने के पैसे नहीं थे। आज देश के सबसे बड़े शैक्षिक संस्थानों में अध्ययन कर रहे है। 'सुपर 30' छात्र, शिक्षक, परिजन, सभी के लिए प्रेरक, उत्साहवर्धक और जोशीला स्टोरी के लबरेज मूवी है।
फ़िल्म में पंकज त्रिपाठी का रोल काफी मनोरंजन करता दिखेगा तो ऋतिक रोशन की आँखें और बोलचाल की शैली आपके मन को बांध लेगा। यह एक पारिवारिक फ़िल्म भी है। आप पिता, भाई, बहन, माँ, शिक्षक किसी के साथ बैठकर निःसंकोच देख सकते है। ऐसे मूवी के आभाव भी है आजकल। जिसे सबके साथ देखा आ सके। एक ऑफर भी परिवार के साथ बैठकर मूवी देखने का। मूवी का अनुसरण करने का। मूवी में लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन से कठिन प्रतिकूल परिस्थिति में भी लक्ष्य की ओर बढ़ाना और उसे  हासिल करना सीखलाता गया है। एक बार जरूर सुपर 30 मूवी देखकर आये।

रविवार, 7 जुलाई 2019

हिन्दु राजा अनंगपाल तॊमर ने 1060 AD में लाल किला बनवाया था

भारत में मुगल शासकों द्वारा संशोधित  इतिहास को सच मानने के लिए हमें मजबूर किया गया है। हमें बताया गया है कि शाहजहां ने 1639 से 1648 के बीच वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी द्वारा लाल किले को बनवाया था। लेकिन हमें यह नहीं बताया गया है कि मुगलों के भारत आने से पूर्व से ही लाल किला दिल्ली में स्थित था। मुगलों ने उसी किले को क्षत विक्षत कर अपना
नाम किले के साथ मंढ दिया। वास्तव में 1060 ईस्वी में राजा अनंगपाल द्वारा लाल किले का निर्माण किया गया था। किले के अंदर बहुत सी वास्तुकला हैं जो चीख चीख कर कहती है कि लाल किला हिन्दू राजा द्वारा बनवाया गया था। पहला साक्ष्य तो यह है कि ऒक्सपर्ड के Bodleian Library में एक चित्र है जिसमें 1628 में शाहजाहन लाल किले के दिवान -ए -आम में एक पर्शियन राजदूत का स्वागत कर रहा है। उसी साल शाहजहान ने तख्त पर कब्ज़ा कर लिया था। इसका अर्थ है कि लाल किला शाहजहान के तख्त पर बैठने से पहले ही मौजूद था। अगर लाल किले को 1639 में बनवाया था तो 1628 में वह लाल किले में कैसे मौजूद था लाल किले के अंदर “खास महल” में राजा अनंगपाल के शाही प्रतीक को देखा जा सकता है। इस प्रतीक में एक हिन्दू कलश के बीच में दो तलवारॊं को ऊपर की ऒर घुमाकर चित्रित किया गया है। कलश पर एक कमल की कली है और उसके ऊपर न्याय का तराज़ू है। दोनों तलवारों की नॊख पर दो शंख चित्रत हैं जो की हिन्दू प्रतीक है। कलश, शंख और कमल इन सभी चीज़ों की सनातन धर्म में महत्वपूर्ण मान्यता है। यही नहीं इस शाही प्रतीक में सूर्य देवता का भी चिन्ह है जो राज परिवार के सूर्य वंश से संबंध को दर्शाता है। महल के दरवाज़े के कमान पर दुपहर के सूर्य का चिन्ह है जो कि सूर्य वंश का प्रतीक है। इस कमान पर हिन्दुओं का पवित्र शब्द “ऒम” भी खुदा गया है। उसके नीचे शाही परिवार के प्रतीक चिन्ह है जो सनातन धर्म का प्रतीक है। इन प्रतीकों के बीच की जगहों पर उर्दू के शिलालेखों को जबरन घुसाया गया है। लाल किले के दिल्ली दरवाज़े पर बनी दो हाथियों की भव्य मूर्तियां किले के हिंदू मूल के एक अचूक संकेत हैं। केवल हिन्दु महलों और मंदिरॊं में ही हाथी के मूर्तियां और कलाकृतियां बनाई जाती है। हिन्दुओं के लिए हाथी शक्ति, महिमा और धन का प्रतीक होता है। ग्वालियर, उदयपुर और कॊटा के महलों में भी इसी प्रकार की कलाकृतियां देखने को मिलती है। “मोती मस्जिद” के प्रवेश द्वार को देखने से यह पता चलता है कि वहां की वास्तुकला किसी मंदिर की प्रवेश द्वार की कला के जैसे प्रतीत होती है। द्वार के गुंबदों के बीच के कवच में हिंदू पूजा में उपयोग किए जाने वाले केले के चिन्ह हैं और बीच में भगवान को अर्पित करने वाले पांच फल है। ध्यान रहे मुस्लिम मस्जिदों में फल ले जाना निषिद्ध है। केवल हिन्दू मंदिरों में भगवान को फल फूल अर्पण करने की प्रथा है। महलों को हीरे जवाहरातों का नाम देना भी हिन्दू प्रथा है। केले के अंदर “रंग महल” के दीवारों पर मंदिर की नक्काशी इस बात का प्रतीक है कि इस किले को शाहजहान ने नहीं बल्कि राजा अनंगपाल नामक हिन्दू राजा ने बनवाया था। रंग महल नाम भी हिन्दू मूल का है। मंदिर के मंडप के ऊपर बनी छॊटी छत्री की हिन्दू धरम में बड़ी मान्यता है। आज भी उत्सवों में ऐसी छत्रियों का उपयॊग सनातन परंपरा में किया जाता है। खास महल और रंग महल के अंदर छिद्रित संगमरमर की जेलियों का उल्लेख “रामायण” में भी किया गया है तॊमर राजवंश ने सन 736 में “लाल कॊट” साम्राज्य की स्थापना की थी। महान नायक पृथ्वी राज चौहान का जन्म इसी वंश में हुआ था। तॊमर अनंगपाल ने लाल कोट की स्थापना की थी जिनका नाम दिल्ली के कुतुब परिसर के लोहे के स्तंभ में खुदा गया है। दिल्ली के मेहरौली में लाल कोट (लाल किला) तॊमर वंश द्वारा बनाया गया था और इसके अवशेष लाल रंग के पत्थरों के साथ अभी भी देखने को मिलते हैं। मुगलों ने भारत के हिन्दू मंदिरों और स्मारकों को क्षत विक्षत किया और भारत के स्वांग रचने वाले बुद्दिजीवियों और पाखंडी धर्मनिरपॆक्ष लोगों ने भारत के इतिहास को क्षत विक्षत किया है। आज सभी साक्ष्य हमारे सामने हैं, कम से कम अब तो हमें सच बॊलना चाहिए।



कांग्रेस की निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में भारी गिरावट के पूर्वानुमान

भविष्य में क्या होंगी, मैं नहीं जनता हूँ |  इस दौर में बहुत लोग अभिव्यक्ति की आजादी का अलाप जप रहे है |  तो मुझे भी संविधान के धारा  19  क...