बुधवार, 31 अक्तूबर 2018

गंगा


  युगो-युगो से वेदों ने जिसका गान किया,                          

  मुनियों ने जिसको सुमिरन बारंबार किया।

  पुराणों ने जिसकी गाथा का गुण गान किया,
  शिव जटा समाई देवताओं ने गंगा नाम दिया।।

  भारत के इतिहास ने जिसको मां कह कर पुकारा है ,
  पुत्र भीष्म ने  महाभारत में भगवान को ललकारा है।
  जिसकी धारा को सहस्त्रबाहु ना रोक पाया है,
  उस गंगा को कलयुग में प्रदूषण युक्त बनाया है।।

  गंगा ने विदेशों में भारत का मान बढ़ाया है ,
  गंगा की गाथा को आद्य शंकराचार्य ने गाया है।
  भारत माता के बेटों की प्यास बुझाई है,
  गंगा किनारे बैठ ऋषियो ने सिद्धि पाई है।।

  मृतको की मुक्ति का मार्ग भी गंगा है,
  जिसका मन चंगा तो कठौती में गंगा है।
  दुनिया में भटकर मनुष्य ने क्या पाया है,
  दुनिया की ठोकर खा  चरणों में अाया है।।

  भगीरथ की तपस्या का मान हो तुम,
  विष्णु के चरणों का सम्मान हो तुम।
  कवियो की गाथाओं का गान हो तुम,
  भारतीय की आन-बान-शान हो तुम।।

  भारतीयों ने कलियुग का असर दिखाया है,
  चमडा,नाली गंदा पानी तुझमे बहाया हैं।
  इस कृत्य पर कोई नेता न शर्माया है,
  तेरे नाम पर उसने करोड़ों रूपये कमाया है।।

  उद्योग नाम पर तुझको बार-बार गंदा किया,
  सफाई के नाम पर नेताओं ने धंधा किया ।
  तुम्हारे ही नाम पर जनता से चंदा लिया,
   20हजार करोड़ का मंत्रालय बना दिया।।

  घर-घर जाकर हम एक अलख जगाए,
  माँ गंगा की सफाई का संकल्प दिलाए।
  जाति-धर्म का चोला छोड़कर उपर आए,
  जल ही जीवन है,इस मंत्र का भान कराए।।

  सबकुछ लिखना बोलना बंद करे,
  गुंगे-बहरो से आस लगाना बंद करे।
  त्वदीय पाद पंकजम्,नमामी देवी गंगे का गान करे,
  हाथों में झाडू लेकर सवा अरब आगाज करे।।

 
  पंडित दीपक द्विवेदी
  दूरभाष नं-9111127531
  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता
  एवं संचार विश्वविद्यालय
  एम.ए(एम़ सी) तृतीय सेमेस्टर
  भोपाल(मध्यप्रदेश)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: एक दिवसीय शिविर, भोपाल


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
तात्या टोपे नगर  भोपाल
एक दिवसीय शिविर
20-21 नवम्बर 2018, रविवार


उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो|
                                 - स्वामी विवेकानंद


प्रिय दोस्त! सप्रेम नमस्कार
          छात्र जीवन का आधार होता है| छात्र जीवन ही भविष्य की दिशा और दशा तय करती है| जिसके द्वारा हम भारतवर्ष को शक्ति-संपन्न, समृद्ध, सुखी और संगठित राष्ट्र की परिकल्पना कर सकते है|
विद्यार्थियों को इस अवधी में अपनी राष्ट्रीयता, संस्कृति, सभ्यता के साथ-साथ शिक्षा खेल कूद व्यायाम का समुचित ध्यान रखना चाहिए| इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए; एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है|

सूचनाएं:
शिविर दिनांक: 20-21 नवम्बर 2018, रविवार
समय प्रात: 8 बजे से सायं 5 बजे तक|
स्थान:
आपेक्षित आयु वर्ग: कक्षा 8 से 12 तक के विद्यार्थी
शुल्क: 50 रूपए
आवश्यक सूचना: लोअर, टी-शर्ट, डायरी-पेन लेकर आना है|
संपर्क सूत्र: 8340582571/9516774086

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
               नाम-
                    कक्षा-
                   पता-
                   संपर्क नंबर-
               

30 नदियों के जल अर्पित कर सरदार पटेल की प्रतिमा का मोदी ने अनावरण किया - जितेश सिंह



लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 143 वीं जयंती पर उनकी नवनिर्मित 182 मीटर प्रतिमा का प्रधानमंत्री मोदी ने अनावरण किया| सरदार पटेल की यह प्रतिमा विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है| इस अवसर पर भारतीय वायु सेना के तीन विमानों ने उड़ान भर भगवा, सफ़ेद और हरे रंग से आसमान में तिरंगा उकेरा| वायु सेना के विमानों ने सरदार पटेल को सलामी भी दी| इस अवसर पर पीएम ने कहा " सरदार पटेल न होते तो सोमनाथ मंदिर और गिर के शेर और हैदराबाद की चार-मीनार को  देखने की लिए वीजा लेना पड़ता|" वही बिना नाम लिए उन्होंने कहा कुछ लोग इसे भी राजनीति चश्में से देखते है| महापुरुषों को याद करने के लिए भी हमारी आलोचना की जाती है| 
आज देश को सरदार पटेल की इस भव्य प्रतिमा को देख कर फर्क हो रहा है| आजादी के 71 वर्ष बीत गए, देश ने सरदार पटेल की योग्यदान को अनदेखा और अनसुना कर दिया था| भारत के संघर्ष काल में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले पटेल नेहरू के घोर विरोधी मने जाते थे| कई मुद्दों पर वे नेहरू से उलझ जाते थे| जिसका परिणाम हुआ की सत्ता के लोलुपता में लिप्त लोगों ने सरदार के योग्यदान को मिटने का प्रयास किया| हमारे इतिहास को इस तरह उलझाया गया है कि नेहरू और गांधी के बाद किसी अन्य क्रन्तिकारी देश के आजादी में भागिदार नहीं, जब कि यह सच नहीं| 562 छोटे-बड़े राज्य-राजवाड़े को अपने कूटनीतिज्ञ और साहस से विलय कर भारत का पून: निर्माण किया थे, सरदार पटेल ने| आधुनिक चन्द्रगुप्त और चाणक्य दोनों के गुण सरदार पटेल में थे| किन्तु राजनीति और सत्ता हथियाने वाले नेहरू-गांधी परिवार ने  सरदार कि उपेक्षा किया| 
आज उनके 143 वीं जयंती पर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पटेल कि प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा " आज धरती से आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है|" पीएम अपने सम्बोधन के बाद सरदार पटेल की लोकप्रसिद्द प्रतिमा (स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी) का अवलोकन किया| 30 नदियों का जल भी अर्पित किया और पूजा-अर्चना भी की| इस दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित साह और गुजरात के सीएम विजय रूपाणी भी मौदूद रहे|   



2001: बॊस्टन हवाई अड्डे अमरीका के एफ़.बी.आई ने राहुल को गिरफ्तार कर लिया था। - हिन्दू भूमि

देश जानता है कि सन 2001 के दौरान जब राहुल गाँधी और उसकी प्रेमिका वेरोनिका जो की कंबोडियन ड्रग्स तस्कर की बेटी है  अमरीका जा रहे थे तो उसे बॊस्टन हवाई अड्डे पर

गिरफ्तार कर लिया गया था। कारण था कि वह अवैध तरीके से अपने साथ हेरोइन नाम का ड्रग्स और 1.6 लाख डॉलर ले जा रहा था। अमरीका मॆं यह जघन्य अपराध है इस के लिये कडी सी कडी सजा भी दी जाती है। अमरीका के एफ़.बी.आई ने राहुल को गिरफ्तार कर लिया और उसे पूछ्ताछ के लिये हिरासत में लिया।
अपने एक मात्र युवराज के गिरफ्तारी से बौखलायी काँग्रेस की राजमाता बिलबिलाने लगी और उस वक़्त के प्रधानमंत्री अटल जी से अपने बेटे की रिहाई की दुहाई माँगी। हालाकी ग्रेव एक्ट के चलते राहुल की रिहाई मुमकिन तो नहीं था। उसे कम से कम 50 साल कैद की सजा होती। लेकिन अटल जी ने अपनी सारी शक्ति का प्रयॊग राहुल कॊ छुडाने में लगा दिया। उन्होने अपनॆ निजी कार्यदर्शी ब्रिजेष मिश्रा कॊ काँडॊंलिना रैस से बातचीत करने कॊ कहा। उनके अथक प्रयासों के बाद राहुल को छुडाया गया। क्यॊंकी यहाँ बात राहुल या काँग्रेस की नहीं बल्की देश की थी। दुनिया हम पर हँसती की देश एक पार्टी जिसने देश पर सत्ता किया वह ड्रग्स की तस्करी करता है। इस केस को भारत के गुप्त विभाग द्वारा हमेशा के लिए छुपा दिया गया । राहुल को छुडाने के बदले में मॆडम जी ने आनेवाले चुनावॊं मॆं सँवीधानिक रूप से ही लडने का वादा किया था। लेकिन गद्दारी तो उनके खून में ही बहती है। जैसे ही बॆटा जेल से बाहर हुआ मॆडम्जी ने अपना असली रूप दिखाया और आज आप सब देख ही रहे है...

खबर की पुष्टता :-

१. http://www.dainik-bharat.org/2017/10/50_21.html

२. http://www.thehindu.com/2001/09/30/stories/02300003.htm

३. http://zeenews.india.com/news/india/rahul-gandhi-was-caught-in-us-with-drugs-vajpayee-got-him-released-swamy_1634107.html

४. https://www.quora.com/Why-did-Atal-Bihari-Vajpayees-government-save-Rahul-Gandhi-when-he-was-detained-by-the-FBI-at-the-Boston-Airport-in-America-along-with-drugs-and-an-illegal-amount-of-cash

५. https://googleweblight.com/i?u=http://storify.com/aashish81us/sept-27-2001-rahul-gandhi-and-his-girl-friend-vero&grqid=HpqeDk5_&hl=en-IN

दिनेश शुक्ल mpheadline.com के संपादक

पिछले 11 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में है. इनका जन्म 27 दिसम्बर 1980 को उत्तर प्रदेश के ग्राम महमूदपुर बुजुर्ग जिला कानपुर देहात में हुआ. अपने पिता श्री हरीशंकर शुक्ल और माता श्रीमती प्रतिमा शुक्ला की तीन संतानों में सबसे बड़े दिनेश का बचपन उनके पिता के साथ पुलिस की नौकरी के दौरान पहले आविभाजित मध्यप्रदेश के रायपुर (छत्तीसगढ़) और बाद में भोपाल (मध्यप्रदेश) में गुजरा. इन्होनें अपनी शिक्षा मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्राप्त की.
वाणिज्य संगणक अनुप्रयोग में स्नातक करने के बाद इन्होनें पहले पत्रकारिता एवं जन संचार में स्नातक और बाद में स्नातकोत्तर की उपाधी प्राप्त की. अपने छोटे से पत्रकारिता जीवन के दौरान इन्होनें विभिन्न टीवी समाचार संस्थानों में कार्य किया है. भारत के पहले एचडी न्यूज़ चैलन न्यूज़ एक्सप्रेस में सिनियर रिपोर्टर के पद पर रहे दिनेश शुक्ल वर्तमान में स्वतंत्र रूप से एबीपी न्यूज़, टाइम्स नॉउ, रिपब्लिक टीवी, द क्विंट और बीबीसी हिन्दी को अपनी सेवाएं दे रहे है. इसके अलावा दिनेश शुक्ल mpheadline.com के संपादक की भी भूमिका निभा रहे है. दिनेश शुक्ल अध्यापन के क्षेत्र में भी रूचि रखते है. अटल बिहारी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल सहित कई पत्रकारिता संस्थानों में अतिथि विद्वान के रूप में भी वह सेवाएं देते रहे है. दिनेश शुक्ल भोपाल में पत्रकारों के स्वास्थ्य ंसंगठन जर्नलिस्ट हेल्थ केयर सोसायटी में सदस्य और गैर सरकारी संगठन युवा पत्रकार संघ के वर्तमान अध्यक्ष है. दिनेश शुक्ल के टीवी रिपोर्टिंग के अलावा विभिन्न समाजिक मुद्दों पर पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित होते रहते है. अपनी लेखनी और पत्रकारिता को एक कर्मयोगी की तरह जीवन में उतारने वाले दिनेश शुक्ल वर्तमान समय के पत्रकारों में अपना एक विशेष स्थान रखते है।  

मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

दशरथ माँझी : एक कर्मयोगी ! - गणिनाथ सहनी

गणिनाथ  सहनी  

मुजफ्फरपुर, बिहार



 लाई कर्म की ज्योति
गगन तक फैल गया आलोक
गर्वित थे सभी उसपर
धरातल और देवतालोक।

कर दिया पर्वत का गरूर
चूर चूर।
श्रम के सुरूर में गदगद
आत्मसंतोष से भरपूर।

न चेहरे पर असमंजस की थकान
दृढ़ इच्छा देखकर प्रकृति हैरान।
हथौड़े की हर चोट पर सुकून भरी मुस्कान।
अनवरत, अडिग, कर्मरत इनसान!

न प्रसिद्धि की चाह।
न दुःख की परवाह।
निरंतर छेनी पर हथौड़े का अविचल प्रवाह।
हृदय में गज़ब का उत्साह!

कभी-कभी कर्मनिष्ठा देखकर
पाषाण भी घबराता,
द्रवीभूत होने की चेष्टा करता,
पर धर्मभ्रष्ट होने का डर
उसे ऐसा करने से रोकता।

काट-काट कर पर्वत
घटा दी दूरी,
बना दी नई राह।
बाईस वर्षो का अथक श्रम तप
और आज वाह-वाह!

वो इनसानियत के दुख-दर्द में
भागीदार था;
सुख-दुख में साझी था।
वह गहलौर की मिट्टी में पला-बढ़ा
कर्मयोगी दशरथ माँझी था।

गणिनाथ सहनी, रेवा, 
मुजफ्फरपुर, बिहार।
मो.- 9939329611
       9431049733

रविवार, 28 अक्तूबर 2018

राजनीति बनाम पत्रकारिता! - जितेश कुमार

mp congress or press के लिए इमेज परिणाम27 अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और कुछ पत्रकारों के बीच तू-तू-मैं-मैं हो गयी| आखिर क्यों कोई देश के सबसे बड़े प्रवक्ता; पत्रकार को कोई कुछ भी बोल देता है? कारण साफ है कि बिगत वर्षों में मीडिया ने अपना आत्मसम्मान गिराया है| समय की मांग है; मीडिया अपने उत्तरदायित्व को समझे| अपने अंदर आये विकारों को दूर करे| मीडिया सवाल पूछे ना कि राजनीतिक पार्टी का प्रवक्ता बने| जजमेंट का अधिकार लोकतंत्र में जनता का है और जनता अपना दायित्व समझती है| पत्रकारों में पत्रकारिता की झलक धुंधली हो रही और राजनीतिक पार्टियों के मेल-मिलाप का गहरा रंग चढ़ रहा है| इससे पत्रकारों और मीडिया हाउस की साख ख़राब हुई है| पहले तो लोग नेता को ही अनब-शनाब बकते थे- दलाल,घोटालेबाज,जुमलेबाज, भष्ट्राचारी कई नामों के पुकारते थे| ये टैग पत्रकारों के लिए भी लगने शुरू ए है| पत्रकार अपने दिशा-दशा का मूल्यांकन करे|
संबंधित इमेजदेखा जाये तो मप्र में चुनावी मोर्चे पर कांग्रेस के दिग्गज रणछोड़ के दिल्ली भाग बैठे हैं| सत्ता से 15 वर्ष बेदखल होने के बावजूद भी कांग्रेस में एकता नहीं हैं| कमलनाथ-ज्योतिरादित्या-दिग्गी आपस में ही ये एक दूसरे के सबसे बड़े विरोधी बने है| शिवराज और भाजपा से बाद में निपटने की जरुरत है| कांग्रेस पार्टी को इन तीनों घोर विरोधी का काट चुनना चाहिए| कांग्रेस पार्टी की चिंता प्रदेश में भाजपा बाद में है, पहले प्रदेश के तीन त्रिमूर्ति है, कैसे इन तीनों को एक मूर्त में पिरोया जाये? दिल्ली में मप्र के चुनावी रण छोड़  भाग जाना; प्रदेश में कांग्रेस के स्वास्थ के लिए ठीक नहीं है| अध्यक्ष भी कमाल के है, सिखाते है, सब कुछ नहीं जानते? कही राहुल को गांधी परिवार के कारण झेलना कांग्रेस को शांतिधाम ना पहुंचा दे| वैसे राहुल गांधी जब फर्जी गांधी है, तो कोई विवेकशील कांग्रसी को गांधी का इस्तेमाल करना चाहिए| जिसके  गोत्र और हिंदुत्व पर प्रश्न कोई ना करे? 
प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चूका है, प्रदेश से कांग्रेस के महारथी रण क्षेत्र से फरार है| ऐसे में कुछ चाटुकार मोर्चा संभाले हुए है, सावधान मप्र! पिक पत्रकारों पर जनता को पैनी नजर रखने की जरुरत है| समाज का प्रवक्ता

जितेश कुमार 

बिक हुआ है| हाँ, कुछ मीडिया हाउस और कुछ चाटुकार गले में कुत्ते की तरह पट्टा पहने, अपने मालिक के स्वामिभक्ति कर रहे है, पट्टे की पहचान मुश्किल है क्यों कि उस पर प्रेस लिखा है| किसी पार्टी का चुनावी अभियान में पत्रकार को नहीं पड़ना चाहिए| पत्रकार जनता के प्रति जवाबदेह है, किसी पार्टी और विचार से बांध कर अपना कद बौना  नहीं करे| मूल्यों और सिद्धांतो को बेच कर को ज्यादा दिन तक अपने अस्तित्व को नहीं सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है| बिगत कुछ वर्षों में जनता के

संवाद घटा है और राजनीति पार्टियां और पूँजीपत्तियों के संवाद बढ़ा है, जो पत्रकारिता के स्वास्थ्य लिए सही नहीं है| पत्रकार को राजनीति पार्टियां के मोहभंग कर, जनता कि ओर झुकना समय की मांग है| रोजगार, शिक्षा, सड़क, बिजली पानी के साथ देश की आतंरिक ओर बाह्य सुरक्षा को नहीं समझने को दरकार है| इसके लिए मीडिया हाउस को परिशुध्द होना पडेगा नहीं तो,दिन दूर नहीं जब हमारी स्थिति पर भी जनता नोटा दबाना शुरू कर देंगे|

शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

रुको जिंदगी! गणिनाथ सहनी

रुको जिंदगी!
      ***

रुको जिंदगी!
जी भर के आलिंगन कर लूं
पता नही
कब मौत गले का हार बने।

अपने सखा-मित्रो संग खेल लूं
आनंद ले लूं।
सुख-दुख के साथी का
दीदार कर लूं।
बचपन के चित्र में फिर से
नया रंग टहकार कर लूं।
पता नही
कब मौत गले का हार बने।

जिन-जिन ने मेरी ख़ातिर
अपने सुखो का त्याग किया
उन महामानव की चरण वंदना कर लूं।
हमें सुलाने में जो जगा करते थे
उनका हृदय से सत्कार कर लूं।
पता नही
कब मौत गले का हार बने।

गुरु की बातों का अक्षरश:
ध्यान कर लूं।
सच्ची श्रद्धा-निष्ठा से सम्मान कर लूं।
काल की गति पर एक छंद
कविता का लिख लूं।
पता नही
कब मौत गले का हार बने।

           - गणिनाथ सहनी
           मुजफ्फरपुर बिहार

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018

गैर-गुजरातियों के पलायन पीछे जिम्मेदार क्षेत्रवादी नेता! - जितेश सिंह

गुजरात में हिंसात्मक माहौल के बीच बिहार, यूपी सहित कई गैर-गुजराती श्रमिकों का पलायन जारी है| गैर-गुजरातियों के घर-घर जाकर उनके परिवारों को धमकाया जा रहा है| उन्हें गुजरात से तुरंत भागने को कहा जा रहा है| 'शीध्रता से गुजरात नहीं छोड़ने पर इसका अंजाम बुरा होगा' धमकी दिया जा रहा है| बीते दिन कई ऐसे मामले उभर कर आये है| प्रशासन के सख्त कार्यवाही की बात तो की है| फिर भी भय बना हुआ है; लोगों का पलायन जारी है| गुजरात से आने वाली सभी ट्रेनें खचाखच भर-भर कर आ रही है|
जिससे वहां के तनाव और डर का अंदाजा लगाया जा सकता है| गुजरात के उत्तरी हिस्सा में प्रदर्शन हिंसात्मक रूप धारण किये हुए है| 'गुरजात खाली करो; गैर-गुजरातियों' का नारा जोरों पर है तो इसके साथ दंगा और हिंसात्मक माहौल भी जोर पकड़े हुए हैं| बाहरी श्रमिकों के साथ मार-पीट कर के उन्हें पलायन को मजबूर किया जा रहा है| खासकर बिहार-यूपी के श्रमिक इस हिंसा और उत्पीडन के केंद्र-बिंदु है|
ऐसे में सवाल और बवाल उठना स्वभाविक है कि कौन गुजरातियों में इस प्रकार से हिंसात्मक जहर घोल रहा है? इस क्षेत्रवादी राजनीति के पीछे कौन है? जो अपनी राजनीति रोटी सेकने के लिए हिंसा करवा रहा है? कौन श्रमिकों को जान से मारने की धमकी दे रहा है?
सोशल मिडिया पर लगातार बाहरी लोगों और श्रमिकों के खिलाफ भड़काऊ वीडियो पोस्ट और शेयर किया जा रहा है| सोशल मिडिया पर गैर-गुजराती लोगों को धमकाने और घर खाली करने की चेतावनी वाले वीडियो भी सामने आये है| इसमे कांग्रेस के कुछ नेता को भी धमकी देते देखा जा सकता है| उत्तरी क्षेत्र में बसे गैर-गुजराती लोग पुलिस के तमाम प्रबंधन के बावजूद वे अपनी और परोजनों की सुरक्षा को लेकर काफी भयभीत है| जिसके एवज पलायन को मजबूर है|
गैर-गुजराती पर अचानक हुए हमलों के बाद ख़ुफ़िया विभाग अलर्ट हो गया है| माना जा रहा है कि किसी साजिश के तहत यह हमले हुए है| अब तक प्रशासनिक कार्यवाही में 42 मामले दर्ज कर 342 लोगों की गिरफ़्तारी की गयी है| सोशल मिडिया के दुरुपयोग और अफवाह फ़ैलाने के मामले में भी 6 लोगों को पकड़ा गया है| इस कांड से सम्बंधित गिरफ्तारी साबरकाठा में 95, महेसाणा जिले में 89, अहमदाबाद में 73, गांधीनगर में 27, अरावल्ली में 20, अहमदाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में 36 और सुरेंद्रनगर में 2 लोगों की हुई है|
इस प्रकरण की शुरुआत एक रेप केस के बाद हुई| कुछ दिन पहले उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में ठाकोर समाज के 14 वर्ष की एक बालिका के साथ बिहार के मूल निवासी एक फैक्ट्री श्रमिक के कथित तौर पर दुष्कर्म से स्थानीय लोगों में गुस्सा और तनातनी का माहौल बना गया|
जिसके खिलाफ अल्पेश ठाकोर और कांग्रेस के एक विधायक ने भड़काऊ बयान जारी किये थे| जिसके बाद वहाँ हिंसा शुरू हो गई| देखते-देखते समूचे उत्तरी गुजरात के भाग को इस हिंसा ने अपने चपेट में ले लिया| जिसके बाद गैर-गुजराती श्रमिकों को योजना बनाकर भीड़ में मार-पीट की गयी| अधिकतर हमले तब हुए जब शाम से समय श्रमिक फैक्ट्रियों में शिफ्ट बदलने पर बाहर निकलते थे|
ठाकोर परिवार के जिस बालिका के साथ इस प्रकार के निदानात्मक घटना हुई है| उनके साथ प्रशासन खड़ा हो और आरोपी को जल्द-जल्द कड़ी सजा दी जाये| जिससे लोगों का क्रोध शांत हो और शांति का वातावरण स्थापित हो| कई बार न्याय में देरी के कारण ऐसी घटना होती है| लोगों के आक्रोश का गलत फायदा क्षेत्रवाद और जातिवाद करने वाले राजनीतिक लोग उठाते है|
एक सवाल यह भी है कि जो लोग गरीबों और नीचे जाति के लोगों के नेता बनाने का ढोंग करते फिरते है| नीची जाति को भड़का कर अपनी राजनीति गाड़ी चलाते है|

जितेश सिंहपत्रकारिता छात्र

वैसे ही नेतागण गुजरात की इस घटना में सामिल है| उनसे पूछा जाना चाहिए अन्य श्रमिकों की क्या गलती थी? और जिसको मारा पीटा गया है, गुजरात छोड़ने को धमकाया गया है; उसकी जाति क्या है? कौन से वर्ग के लोग इसके शिकार हुए है?                     
                 

सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

जातिवाद के कारण खतरे में "हिंदुत्व" - अंकित पचौरी

आज जो परिस्थितियां देश में पैदा हुई है । उसे समाज भलि-भांति जानता है। अपनी राजनीति और लोकप्रियता को बढ़ाने के एवज में कुछ लोगों ने देश की अखंडता को भी बलि का बकरा बना दिया। आजादी के इतने समय बाद भी इस तरीके के षडयंत्रो

            अंकित पचौरी

          यूवा पत्रकार 

का सफल होना वाकई दुखद और शर्मनाक है। आज जहाँ लोग चांद से लेकर मंगल की सफल यात्रा कर रहे है | वहीं पूर्व में विश्व गुरु रहा हमारा 'भारत' जातिय भेदभाव और जातिय समीकरण की राजनीति में पिछड़ता जा रहा है। ऐसे आंदोलनकारी लोगों को देख कर मुझे भेड़ की याद आती है। 
देश में कई अन्य समस्याओं ने भी डेरा डाल रखा है, लेकिन गरीबी, शिक्षा, बेरोजगारी की समस्या छोड़ कर सिर्फ ये आंदोलनकारियों को एट्रोसिटी एक्ट कानून ही दिखा जैसे मानो इस कानून को पुनः स्वरूप मिलने से देश मे कयामत आने वाली हो। 
एक महाशय है जो आंदोलन को आगे लेकर गए जिनका नाम बहुत ही खूबसूरत और पवित्र है, पर उनके कर्म और भड़काऊ भाषण को आप क्या मानते है, ये हम पर निर्भर करता है। देश में समाज को प्रेम और एकता का संदेश देने वाले लोगों ने ही देश में जातिवाद का फिर एक गहरा जख्म दे दिया है। बस डर तो इतना सा है, कही ये जख्म धारदार हो गया तो हिंदुत्व खतरे में पड़ जायेगा। लेकिन इतना तो साफ है भविष्य में नेता बनने और बनाने वाले लोगों को हिंदुत्व की तो फीकर नही है, पर सत्ता की चिंता रात के सपने में भी सताती रहती है। 


                                             अंकित पचौरी
                                             युवा पत्रकार

कांग्रेस की निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में भारी गिरावट के पूर्वानुमान

भविष्य में क्या होंगी, मैं नहीं जनता हूँ |  इस दौर में बहुत लोग अभिव्यक्ति की आजादी का अलाप जप रहे है |  तो मुझे भी संविधान के धारा  19  क...