मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018

गैर-गुजरातियों के पलायन पीछे जिम्मेदार क्षेत्रवादी नेता! - जितेश सिंह

गुजरात में हिंसात्मक माहौल के बीच बिहार, यूपी सहित कई गैर-गुजराती श्रमिकों का पलायन जारी है| गैर-गुजरातियों के घर-घर जाकर उनके परिवारों को धमकाया जा रहा है| उन्हें गुजरात से तुरंत भागने को कहा जा रहा है| 'शीध्रता से गुजरात नहीं छोड़ने पर इसका अंजाम बुरा होगा' धमकी दिया जा रहा है| बीते दिन कई ऐसे मामले उभर कर आये है| प्रशासन के सख्त कार्यवाही की बात तो की है| फिर भी भय बना हुआ है; लोगों का पलायन जारी है| गुजरात से आने वाली सभी ट्रेनें खचाखच भर-भर कर आ रही है|
जिससे वहां के तनाव और डर का अंदाजा लगाया जा सकता है| गुजरात के उत्तरी हिस्सा में प्रदर्शन हिंसात्मक रूप धारण किये हुए है| 'गुरजात खाली करो; गैर-गुजरातियों' का नारा जोरों पर है तो इसके साथ दंगा और हिंसात्मक माहौल भी जोर पकड़े हुए हैं| बाहरी श्रमिकों के साथ मार-पीट कर के उन्हें पलायन को मजबूर किया जा रहा है| खासकर बिहार-यूपी के श्रमिक इस हिंसा और उत्पीडन के केंद्र-बिंदु है|
ऐसे में सवाल और बवाल उठना स्वभाविक है कि कौन गुजरातियों में इस प्रकार से हिंसात्मक जहर घोल रहा है? इस क्षेत्रवादी राजनीति के पीछे कौन है? जो अपनी राजनीति रोटी सेकने के लिए हिंसा करवा रहा है? कौन श्रमिकों को जान से मारने की धमकी दे रहा है?
सोशल मिडिया पर लगातार बाहरी लोगों और श्रमिकों के खिलाफ भड़काऊ वीडियो पोस्ट और शेयर किया जा रहा है| सोशल मिडिया पर गैर-गुजराती लोगों को धमकाने और घर खाली करने की चेतावनी वाले वीडियो भी सामने आये है| इसमे कांग्रेस के कुछ नेता को भी धमकी देते देखा जा सकता है| उत्तरी क्षेत्र में बसे गैर-गुजराती लोग पुलिस के तमाम प्रबंधन के बावजूद वे अपनी और परोजनों की सुरक्षा को लेकर काफी भयभीत है| जिसके एवज पलायन को मजबूर है|
गैर-गुजराती पर अचानक हुए हमलों के बाद ख़ुफ़िया विभाग अलर्ट हो गया है| माना जा रहा है कि किसी साजिश के तहत यह हमले हुए है| अब तक प्रशासनिक कार्यवाही में 42 मामले दर्ज कर 342 लोगों की गिरफ़्तारी की गयी है| सोशल मिडिया के दुरुपयोग और अफवाह फ़ैलाने के मामले में भी 6 लोगों को पकड़ा गया है| इस कांड से सम्बंधित गिरफ्तारी साबरकाठा में 95, महेसाणा जिले में 89, अहमदाबाद में 73, गांधीनगर में 27, अरावल्ली में 20, अहमदाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में 36 और सुरेंद्रनगर में 2 लोगों की हुई है|
इस प्रकरण की शुरुआत एक रेप केस के बाद हुई| कुछ दिन पहले उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में ठाकोर समाज के 14 वर्ष की एक बालिका के साथ बिहार के मूल निवासी एक फैक्ट्री श्रमिक के कथित तौर पर दुष्कर्म से स्थानीय लोगों में गुस्सा और तनातनी का माहौल बना गया|
जिसके खिलाफ अल्पेश ठाकोर और कांग्रेस के एक विधायक ने भड़काऊ बयान जारी किये थे| जिसके बाद वहाँ हिंसा शुरू हो गई| देखते-देखते समूचे उत्तरी गुजरात के भाग को इस हिंसा ने अपने चपेट में ले लिया| जिसके बाद गैर-गुजराती श्रमिकों को योजना बनाकर भीड़ में मार-पीट की गयी| अधिकतर हमले तब हुए जब शाम से समय श्रमिक फैक्ट्रियों में शिफ्ट बदलने पर बाहर निकलते थे|
ठाकोर परिवार के जिस बालिका के साथ इस प्रकार के निदानात्मक घटना हुई है| उनके साथ प्रशासन खड़ा हो और आरोपी को जल्द-जल्द कड़ी सजा दी जाये| जिससे लोगों का क्रोध शांत हो और शांति का वातावरण स्थापित हो| कई बार न्याय में देरी के कारण ऐसी घटना होती है| लोगों के आक्रोश का गलत फायदा क्षेत्रवाद और जातिवाद करने वाले राजनीतिक लोग उठाते है|
एक सवाल यह भी है कि जो लोग गरीबों और नीचे जाति के लोगों के नेता बनाने का ढोंग करते फिरते है| नीची जाति को भड़का कर अपनी राजनीति गाड़ी चलाते है|

जितेश सिंहपत्रकारिता छात्र

वैसे ही नेतागण गुजरात की इस घटना में सामिल है| उनसे पूछा जाना चाहिए अन्य श्रमिकों की क्या गलती थी? और जिसको मारा पीटा गया है, गुजरात छोड़ने को धमकाया गया है; उसकी जाति क्या है? कौन से वर्ग के लोग इसके शिकार हुए है?                     
                 

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