सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

जातिवाद के कारण खतरे में "हिंदुत्व" - अंकित पचौरी

आज जो परिस्थितियां देश में पैदा हुई है । उसे समाज भलि-भांति जानता है। अपनी राजनीति और लोकप्रियता को बढ़ाने के एवज में कुछ लोगों ने देश की अखंडता को भी बलि का बकरा बना दिया। आजादी के इतने समय बाद भी इस तरीके के षडयंत्रो

            अंकित पचौरी

          यूवा पत्रकार 

का सफल होना वाकई दुखद और शर्मनाक है। आज जहाँ लोग चांद से लेकर मंगल की सफल यात्रा कर रहे है | वहीं पूर्व में विश्व गुरु रहा हमारा 'भारत' जातिय भेदभाव और जातिय समीकरण की राजनीति में पिछड़ता जा रहा है। ऐसे आंदोलनकारी लोगों को देख कर मुझे भेड़ की याद आती है। 
देश में कई अन्य समस्याओं ने भी डेरा डाल रखा है, लेकिन गरीबी, शिक्षा, बेरोजगारी की समस्या छोड़ कर सिर्फ ये आंदोलनकारियों को एट्रोसिटी एक्ट कानून ही दिखा जैसे मानो इस कानून को पुनः स्वरूप मिलने से देश मे कयामत आने वाली हो। 
एक महाशय है जो आंदोलन को आगे लेकर गए जिनका नाम बहुत ही खूबसूरत और पवित्र है, पर उनके कर्म और भड़काऊ भाषण को आप क्या मानते है, ये हम पर निर्भर करता है। देश में समाज को प्रेम और एकता का संदेश देने वाले लोगों ने ही देश में जातिवाद का फिर एक गहरा जख्म दे दिया है। बस डर तो इतना सा है, कही ये जख्म धारदार हो गया तो हिंदुत्व खतरे में पड़ जायेगा। लेकिन इतना तो साफ है भविष्य में नेता बनने और बनाने वाले लोगों को हिंदुत्व की तो फीकर नही है, पर सत्ता की चिंता रात के सपने में भी सताती रहती है। 


                                             अंकित पचौरी
                                             युवा पत्रकार

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