शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

ऐसे ही भारत बंद करे! - जितेश सिंह

चमक नयनों में बरस रही है
भूजाये यूंही फड़क रही है 
लोग सड़को पर है
सरकार के विरूद्ध| 
सर्वदल के सहमती,
बिल हो गया पास 
सड़क पर प्रर्दशन है
तुम आओ देश जलाये! 
कुछ तोड़ फोड़ करके
मन की व्यथा शांत हो
और गाड़ियों को जलाये
भारत बंद है, तुम दुकान का
सटर गिराओ| 

चलो सड़क पर पत्थरबाजी करे
आओ इसे काश्मीर बनाये
आओ बम फेके
अपराध करे
हमें क्यू कि इंसाफ 
चाहिए
देश बचाने के लिए 
आओ हमसब देश जलाये
सुप्रिम कोर्ट के खिलाफ 
जाकर मोदी ने बिल पास 
करायी है, 
आओ बाजार बदं करे 
मोदी का पुतला जलाये
चार मवालियों को 
जिसने पुतला दहन किया
हम नेता बना दे, 
या पप्पु को वोट दे
छद्म राष्ट्रवाद की जीत..
सवर्णो का सड़क पर आना
नीची-उंची का अंतर तुम करो
समाज में विष कब से है, घुला? 
हम थोड़ा थोड़ा गटक रहे
आओ इस विष का घड़ा
मोदी के सर पर फोड़े
आओ भारत के लिए 
भारत को जलाये 
आरक्षण को मिटाये... 
                    जितेश सिंह

मंगलवार, 4 सितंबर 2018

जब मैं नि:स्वार्थ बनू, तुम धाम बन जाओगे 'रेवा'! - जितेश सिंह

रेवा| प्रचीन शिव मंदिर श्री कामेश्वर नाथ महादेव| विख्यात के साथ ही इसकी भव्यता, निर्माण कला और प्राचीनता भक्तो को सम्मोहित करती है|
गंडक नदी उपाख्य नारायणी तट स्थित शिव मंदिर आस-पास के क्षेत्रों में धर्म की सजीवता और जीवन्तता को प्रकट करती है| लोगों की श्रद्धा और निकटता मंदिर के प्रति सराहनीय रही है| श्रावण मास में भक्तो के भीड़भाड़ इसकी अस्था का ही अनथक कहानी है| नारायणी नदी इसकी भव्यता और महानता का शाश्वत प्रतीक है| सौकड़ो वर्षों का इतिहास है, शिव मंदिर का और नारायणी आदिकालीन| प्राचीनता का मूकवाद करती यहां की जीवन्तता और लोगों का विश्वास आस्था का रहा है| लोलुपता भी होता है मिठास जहां है| कुछ निस्वार्थ तो कुछ स्वार्थ चलता आया है| बहुत दिन बाद सेवा का भाव क्या है? शीघ्रता से आस्था उभर आया निस्वार्थ का तो मन में बवाल उठना केवल भ्रम नहीं!  
रेवा ग्राम अब रेवा धाम बनने के लिए तैयार है विचार बदल कर धाम की ओर अग्रेसित रेवा को बधाई| तुम धाम बन पाओ, जब मैं भक्त बन जाऊं| सुधारवादी हावी है हम बदले| हम जैसे तीसरे पीढ़ी गम्भीरता से तो नहीं, तन्मयता और ताकत से दायित्वहीन होकर नोकझोंक करते रहे है| जब तब उभर कर मामला आया है, हानि या लाभ!
आज इस विषय पर लिखने का भी कोई ना कोई
उद्देश्य है तो शिव मंदिर का जीर्णोध्दार हो| इसी उद्देश्य के इर्द-गिर्द व्यवस्थाकर्त्ता मंदिर की सेवा में  अग्रेसर टोली में रहेंगे| मंदिर की भव्यता और विकास की चर्चा चल पड़ी है| मंदिर के जीर्णोध्दार साथ ही इसकी साजसजा आगे, महानता को बढ़ायेंगी|रेवा से रेवा धाम की ओर चले कदम को सिर झुकाकर अभिनन्दन| 
                     

शनिवार, 1 सितंबर 2018

राहुल गांधी शिव भक्त या चीन भक्त? - जितेश सिंह

कैलाश मानसरोवर यात्रा में उलझते जा रहे राहुल गांधी| भक्ति मार्ग बड़ा कठिन होता है,  राहुल गांधी का राजनीति व भक्ति दोनों हमेशा विवादों से घिरा रहा है| चाहे वो गुजरात चुनाव के दौरान सोमनाथ मंदिर में गैर-हिन्दू डायरी में हस्ताक्षर करने का मामला हो या हाल फिलहाल में कैलाश मानसरोवर का|
वैसे भी बच्चों की तरह बयानबाजी और भाषण देते है, राहुल गांधी| बोलने वाले तो यहां तक बोलते है कि राहुल गांधी अभी राजनीति पाठशाला में पढ़ने वाले विद्यार्थी है और राजनीति विश्वविद्यालय के कुलपति बनने की ईच्छा रखते है| उनको राजनीति सीखने की आवश्यकता है| एक जिद्दी बालक की तरह नहीं, सभ्य बालक की तरह वरिष्ठ, अनुभवी, भारतीय राजनीति की समझायिस रखने वाले पार्टी के अन्य किसी कार्यकर्ता को अवसर देना चाहिए| इससे कांग्रेस पर परिवारवाद और वंशवाद का विरोध भी थम जायेगा| राहुल गांधी जब अपने भाषण में यह बात स्वीकार करते आये है कि उनमें अनुभव की कमी है,  सहनशीलता, सहजता से बात करना, चिंतन और मंथन करना,राष्ट्रभक्ति, समरसता और हिन्दूत्व की विचारधारा की समझ भाजपा, मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सीख रहे है| यह एक बचकाना वाला भाषण था| इसका हस्य जितना सोशल मीडिया पर हुआ, उतना ही कड़ी आलोचना राजनीति विशेषज्ञों ने की| उन्होंने कहा इस प्रकार का भाषण लोकसभा बोलना कांग्रेस नेता की अपरिपक्वता को बतलाता है| राजशाही व्यवस्था में शासक का पुत्र युवराज और राजा बन जाये यह उतना आसान नहीं, सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र का प्रधानमंत्री बनने की बात है| जिसमें बच्चकाना हरकते नहीं गंभीरता हो| अनुभव की समझ होनी चाहिए, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों की जानकारी होनी चाहिए| जिसे आम जन जीवन की जानकारी हो| जो राजपथ से राजपथ पर रहने वाला नहीं, जनपथ से राजपथ वाला हो| जो बिना जानकारी के लिखे गये भाषण को पढ़कर समोहन करने वाला नहीं,  गरीबी और बेरोजगारी की परिभाषा याद करने वाला नहीं, उससे साक्षात्कार करने वाला हो| भाषण याद करके समोहित करने का कोई पैतरा काम नहीं आयेगा|
कांग्रेस विवश है, ऐसा लगता है जैसे कूटनीति हो या राजनीति सभी गांधी परिवार को समर्पित कर दिये है|
कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर राहुल गांधी निकल चुके है| सुत्रों की माने तो 12 सितम्बर को वो वापस लौटेंगे| वैसे यह यात्रा भी वाद-विवादो के घिरे में है| जहां भाजपा ने राहुल गांधी के यात्रा पर एक के बाद एक सवाल दागे वही उनके बचाव में भी कई बयान सामने आये| भाजपा ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान एयरपोर्ट पर चीनी प्रतिनिधित्व के मिलना गलत बताया तो वही राहुल को चाईनिज गांधी बता दिया| इसके साथ ही पूर्व के कई गांधी परिवार के संबंध पर भी बयानबाजी हुई| डोकलाम विवाद के समय चीनी आधिकारी से राहुल गांधी का मिलना,  2008 में ओलिंपिक के् दौरान चीन के निमंत्रण पर गांधी परिवार का चीन जाना और अंत में नेहरू की 'हिन्दी- चीनी भाई' की नीति को भी केन्द्रबिन्दु बनाकर भाजपा ने

राहुल और कांग्रेस को घेरना चाहा तो जवाब में यही आया शिव और भक्त के बीच जो आया भस्म हो गया| वही यह मुद्दा सोशल मीडिया पर तुल पकड़ा तो कई लोग की पोस्ट "राहुल गांधी शिव भक्त नहीं, चीन के भक्त है|" अब ये तो राहुल गांधी ही बतायेंगे वो किसके भक्त है?  लेकिन धर्म की राजनीति से सत्ता मिल जाए, यह भारत से लिए कोई नयी बात नहीं है|

कांग्रेस की निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में भारी गिरावट के पूर्वानुमान

भविष्य में क्या होंगी, मैं नहीं जनता हूँ |  इस दौर में बहुत लोग अभिव्यक्ति की आजादी का अलाप जप रहे है |  तो मुझे भी संविधान के धारा  19  क...