मंगलवार, 29 जनवरी 2019

मेरी क्या ख़ता है - रंजू सिंह

किसी के जख्म का मरहम
किसी के गम का इलाज 
लोगों ने बाँट रखा है 
मुझे दवा की तरह

कुछ तन्हाईयां 
वेबजह नही होतीं,
कुछ दर्द आवाज़ 
छीन लिया करतें है

ऐ बेवफा थाम ले मुझको 
मजबूर हूँ कितना,
मुझको सजा न दे 
मैं बेकसूर हूँ कितना,

इस जमीन से तो हम 
रिश्ता तोड़ जाएंगे,
बस यादों का 
एक शहर छोड़ जाएंगे

अरमानों के रंग 
बदले कई अर्से हो गए,
ऐसा लगता है तेरे लिए 
हम पुराने हो गए।

मेरी क्या ख़ता है 
तू मुझे सजा देदे,
क्यों तेरे अंदर इतना 
दर्द है इसकी तू वजह देदे,

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

गुरूकुल में जब अशोक सिंह और दिनेश सिंह एक साथ मंच पर आये - जितेश कुमार

रेवा बसंतपुर स्थित एक प्राइवेट स्कूल (गुरूकुल) के वार्षिक उत्सव में जब दो अलग विचारधारा वाले घोर प्रतिद्वंद्वी राजनेता का सामना हुआ तो वही हुआ जैसा आम रूप से मंच पर देखा जाता है| किसी समारोह में देखा जाता है| पारू विधायक अशोक सिंह और विधान पार्षद और JDU नेता दिनेश सिंह मिले तो कुछ ऐसा ही मंजर था| दोनों आते-आते सर हिलाकर एक दुसरे का अभिवादन किया| लेकिन कार्यक्रम में उपस्थिति लोगों के मुंड को भापकर दोनों ने सुझबुझ दिखायी और एक साथ बगल में बैठकर हल्की मुस्कुराहट से यह संदेश दे दिया कि वो भी राजनीति के कच्चे खिलाड़ी नहीं| कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया| गुरूकुल के वार्षिक उत्सव में पारू विधायक ने अपने उद्घाटन भाषण में मंच पर उपस्थिति अतिथियों का स्वागत करते हुये बच्चो का भी अभिवादन किया और बच्चों के द्वारा कृष्ण-सुदामा नाट्य की सराहना भी की| तो वही जदयू के कदावर नेता दिनेश सिंह को कलयूग का कृष्ण और खुद को सुदामा बताया| इसके बाद उद्बोधन के लिए दिनेश सिंह खड़े हुए और अशोक सिंह को धन्यवाद दिया| बच्चों के कार्यक्रम को लेकर सराहा और गुरुकुल के सदस्यों को आश्वाशन दिया कि इसके विकास में हर संभव मदद करेंगे| दिनेश सिंह के साथ कार्यक्रम में बीणा देवी भी उपस्थित थी| अंदरूनी खबर है कि वैशाली संसदीय क्षेत्र; रामविलास पासवान की पार्टी (LGP) से बीणा देवी चुनाव लड़ सकती है| कार्यक्रम में बीणा देवी का आना वोटबैंक को देखते हुए जरुरी भी था| इस प्रकार आज के इस कार्यक्रम को 'शिक्षा बनाम राजनीति' के समागम का नाम दिया जाये तो गलत नहीं माना जाना चाहिए| इस अवसर पर कई स्थानीय नेता भी उपस्थित रहे कौशल किशोर सिंह (फैक्स अध्यक्ष), सुनील ठाकुर (मंडल अध्यक्ष, भाजपा), शत्रुधन सहनी (जिला पार्षद), अजय सिंह (पूर्व मुखिया पति), चितानन्द द्विवेदी (मुखिया), लक्ष्मण केशव केसरी अन्य गणमान्य राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठित व्यक्ति मौजूद रहे|   
सन्देश:-
सुर्य का पूरब-पश्चिम से अटूट संबंध जरूर है लेकिन पूरब और पश्चिम का संबंध कैसा है? कभी सोच कर देखे| राजनीति में अनेको पार्टियों और दलो का देश के लोकतंत्र से संबंध जरूर अटूट है पर एक पार्टी का दुसरे पार्टी से कैसा संबंध है? कोई संस्कृति या किसी शुभारंभ कार्यक्रम में जब दोनों राजनीतिक नेता आचानक मिलते है तो आपस में हँसी का ठिकाना नहीं रहता और हम जैसे लोग चौक जाते है ऐसा हुआ कैसे? आज तक समझ में नहीं आया 'ये रिस्ता क्या कहलाता है|' 

बुधवार, 23 जनवरी 2019

दोस्त; तेरी निगाहों में शहर अच्छा था या बुरा - जितेश कुमार

बहुत दिन बाद मिले हो| एक दम से विदेशिए बन गए हो का| अरे गाँव है कभी-कभार आते जाते रहिये| गठबंधन बना रहता है तो अच्छा है| आज-कल का प्यार और शहर की दोस्ती कछु काम ना आवत है| दोनों के दोनों पइसा के पीछे भागत है| गाँव में खेत है, खलिहान है, जन्म-जन्म के रिस्ता है| तुम्हरा बचपनवा बिता है तो कबो-कबो तो आवत-जावत रहो भिइवा| शहर में कब दिन और रात पता ही नहीं चलता है| मशीन की तरह आदमी चलता रहता है| अरे शहर का भी जिंदगी कौनों जिंदगी है ना तो सुख- चैन है| हम तो कहते है, भईया यही गाँव में ही रहो; खेती-बाड़ी करो, दुई-चार गाये-भईसी पालो और सादी बिआह करो मजा में रहो| अब तो गाँव में अंग्रेजी स्कूलवा भी है बच्चन के पढाई-लिखाई के बारे में सोचना भी नहीं है| तुम कुछ भी कहो हमको तो शहर तनिको अच्छा नहीं लगता है| 
तुम कैसे हो? शहर में तो खूब मन लगता होगा| सुने है शहर में लड़कियां हंस-हंस के बतियाती और तईको नहीं शर्माती है| तब क्लास में कितनी लड़कियां है? तुमसे तो सब बातचीत करती होगी क्यूँ? चलो अच्छा है; हम तो घर-बाड़ और झूठो के खेती-बाड़ी के चक्कर में पर गए| सोच रहे है हम अब शहर में जाकर ही आगे की पढ़ाई करे| कम्पटीशन का एक-दो परीक्षा दे भगवान भरोसे निकल गया तो जय-जय है| नहीं तो शहर में ही कोनों रोजगार के साधन पकड़ लेंगे| एक बात बोल देते है शहर का तो बात ही अजब है, बिजली,सड़क, पानी, नौकरी, स्कूल, डॉक्टर सब के सब मिल जाते है| हम तो कहते है कि शहर की बात ही निराली है| हर प्रकार के सुख-सुविधा है| क्यूँ कछु गलत कहा है? चालो ठीक है; अभी रहना है ना घर पर फिर मिलते है... 
बहुत याद आती है ये बाते जब मै शहर के श्मशान में गाँव के मंदिर को याद करता हूँ| फिर तुमको; अय मेरे दोस्त| उससे ज्यादा वो बाते याद करता हूँ| सच में आज तक पता नहीं चला की तेरी निगाहों में शहर अच्छा था या बुरा?              

संविधान बचाने वाले तेजस्वी के बाप लालू खुद जेल में है - जितेश कुमार


Lalu Prasad Yadav (Photo: Reuters)लालू जब से जेल गए है उनके दोनों बेटे न्यायिक प्रकिया को ही घोटालेबाज बता रहे है| फिर किस मुंह से तेजस्वी संविधान बचाने की बात करते है? संविधान खतरे में है यह तो जुम्ला है| लेकिन लालू चारा चोर है और इसकी सजा जेल में काट रहा है, इस बात को पूरा देश जनता है| संविधान बचाने वाले संविधान के सबसे बड़े स्तम्भ न्यायपालिका पर ही प्रश्न कर रहे और प्रत्येक भाषण में यह आलाप जपते है कि मेरे पिता को फंसाया गया है| दुनिया जानती है लालू यादव ने चारा चोरी की है जिसकी सजा उनको मिली है| एक पुराण कहावत है भगवान से घर देर है, अंधेर नहीं| न्याय में देरी थी लेकिन भ्रष्ट्राचार के लिए जो सजा लालू को मिली है| वह भारत के भ्रष्ट्राचारियों के लिए एक भय का वतावरण बनाया है| आज उसी का परिणाम है कि पचास-पचास हजार के बेल र बहार आये राहुल और सोनिया गाँधी मोदी के विरुद्ध एड़ी-चोटी का दम लगा रहे है| भ्रष्ट्राचारियों के लिए मोदी मानों शनि ग्रह है|      

बुधवार, 16 जनवरी 2019

राजनीति, जातिवादी और राजनीति - जितेश सिंह

देश का सबसे बड़ा रोजगार राजनीति है। मुफ्त का धंधा है ''न तो फायदा है, न घाटा।'' जिसे देखो वही बहुत बड़े राजनीतिक पंडित की तरह बातें करता है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि ये लोग सच में किसी ना किसी
राजनीतिक पार्टी के चुनावी गुरु है। यहां केंद्र से लेकर राज्य, जिला से लेकर पंचायत सभी प्रकार के चुनावी विशेषज्ञ हर गाँव और प्रत्येक चौक-चौराहा पर मिल जाता है। कुछ ऐसे भी लोग चुनाव जीतने के लिए अपने विचार को साझा करते है; जिसने कभी वार्ड का भी चुनाव नहीं जीता हो। ऐसे महान हस्तियों को पता है कि ऐसा करने पर जनता एक एक वोट उक्त प्रत्याशी को देगी। पर वास्तव में खुद इस घिसे-पीटे फार्मूला से अपने लिए दो वोट हासिल करने की गुंजाईश नहीं रखते है। ले-दे-के एक ही हथियार है जिससे खुद गला ही क्यूँ ना कटता हो, उसी का प्रयोग इनको सबसे सटीक और सुलभ मालूम पड़ता है। जिसे जातिवाद कहते है। भारत के नस-नस में जातिवादी विषाक्त भरा पड़ा है। हम भारतीय रोटी-बेटी और वोट किसी दूसरे जाति को नहीं देते है। 
एक प्रेम विवाह होता है लड़की और लड़का अपने पसंद से सादी करते है। कुछ लोग दोनों की मर्जी और ख़ुशी देखकर, इसे मन भारी करके स्वीकार भी कर लेते है। तो हट्टी और रूढ़िवादी परिजनों को सबक सीखने के लिए भगऊआ विवाह प्रचलित है। जिसका सिद्धांत यही है 'नमक-रोटी खाकर, आसमान के नीचे सोये। तू ठण्ड में मुझे ओ लेना और मै तुमको।' शायद इस प्रकार की सोच का प्रादुर्भाव तो रोटी-रोटी में पहले हो चला था अब सादी-विवाह में भी होने लगा है। मर्जी से या फर्जी से समाज में बदलाव आ चुका है। देखना है अब इस जातिवादी अराजक स्थिति से राजनीति कैसे निकलती है? रोटी-बेटी तो फेर बदल होने लगे है, ख़ुशी और स्व के अच्छे दिन के लिए, अच्छे भविष्य के बाबत। देश, समाज और सीमा को सशक्त करने के लिए क्या हम जाति के आधार पर वोट देना छोड़ पाएंगे? नहीं तो क्यूँ नहीं, आखिर हमें आजादी के बाद से फुट डालो राज करो' वाली अंग्रेजी सोच से मिला क्या? भ्रष्टाचार, गरीबी, जातीय-मजहबी संघर्ष और 2जी, कोयला चोर, चारा चोर जैसे नेताओ का झुण्ड। देश को यहाँ के राजनेता से लुटा है तो जिम्मेदार हम है, हम जातिवादी ऐनक लगा कर अपनी ही मातृ को लुटते देखते रहते है। नेता भ्र्ष्ट है मतलब की जनता भी भ्रष्ट है।  हमें निर्मल और राष्ट्रमुखी विषयों को घ्यान में रख कर वोट करेने की आदत को सीखना चाहिए। जाति के रूप में नहीं जनता के रूप में देश की सत्ता को कुशल और भरोसे मंद हाथों में सौंपना होगा। जिसके पास देश और देश के विकास, यहाँ की संस्कृति, समाज के लिए कोई विजन हो। 

सोमवार, 14 जनवरी 2019

एक विजन की तरह परीक्षा में जुट जाये - जितेश कुमार


प्रशासन और परिजन कर्तव्यनिष्ठ रहे, विधार्थी हित के प्रति आपकी सजकता भविष्य निर्माण में अहम भुमिका निभाएगी|

फरवरी 2019 में होने वाली 12वीं और 10वीं की परीक्षा को लेकर बिहार शिक्षा मंडल गंभीर है| पूरी तरह कमर कस चुकी हैं|  शासन और प्रशासन को शख्त हिदायत है कि परीक्षा में किसी प्रकार की नकल बर्दाश्त नहीं की जाएगी| परीक्षा में कदाचारी नहीं चलेगी| पिछले कुछ वर्षों से नकल जैसी कुप्रथा से ग्रसित प्रदेश में, नकल नहीं होगी| परीक्षा में किसी प्रकार की पैरवी और नकल की गुंजाइश नहीं है| बीते
वर्षों में जिस तरह से मीडिया ने परीक्षा व्यवस्था को लेकर,परिक्षा केन्द्र पर हो रहे नकल और टॉपर घोटालेके कई मामले उजागर किए| शासन और प्रशासन के मिलीभगत का मामला प्रकाश में आया है| इससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था को देश-विदेश में आलोचनाएं भुगतनी पड़ी है| शिक्षा के प्रति बिहार की निष्क्रियता को लेकर सतत् आलोचनाएं और रिपोर्ट लेखे गये| शायद उसी का परिणाम है,कि फरवरी 2019 में होने वाली 12वीं और 10वीं की परीक्षा शांति और कदाचारमुक्त हो ऐसा आश्वाशन दिया जा रहा है| आपको बता दे, बिहार में 12 वीं की परीक्षा  6  फरवरी से शुरू होने वाली है लेकिन प्रशासन अभी से एक्शन मुंड में है| वही 10वीं की परिक्षा 21 फरवरी से होगी| अब देखना है कि कैसे परीक्षा केंद्र पर नक़ल और प्रश्न पत्र का परीक्षा से पहले जो बेच-खरोच होता है; उससे निपटने के क्या उपाय किये गए है? वही कई परिजन भी अपने बच्चों को नक़ल करने के लिए परीक्षा केंद्र पर गिद्ध की तरह मंडराते रहते है| ऐसे में विगत कुछ सालों से  धारा 144 का सहारा लिया जा रहा है| लेकिन वैशाली,छपड़ा,हाजीपुर, शिवहर,मधुबनी, बक्सर, मुजफ्फरपुर, सासाराम, दरभंगा, गोपालगंज और तमान सीमावर्ती और पिछड़े इलाको में धारा 144 भी लाचार नजर आते है| देखा जाए तो बिहार के परीक्षा में नक़ल हो या प्रश्न पत्र आउट की कुप्रथा इसमें शासन और प्रशासन के संपर्क में रहते वाले लोग होते है| ऐसे में भ्रष्ट शासन और घूसखोर प्रशासन ही है जो परीक्षा में हो रहे नक़ल और प्रश्न पत्र के आउट होने की मुख्य वजह है| होने वाले परीक्षा में देखना है की 'अबकी बार, नक़ल मुक्त परीक्षा' बिहार के सुशासन बाबू श्री नितीश कुमार करवा पाते है कि यह भी यह जुमला है|' इधर परीक्षार्थियों को परीक्षा को लेकर आस्था बरतनी चाहिए| नक़ल और ताका-झांकी के बदले यथा संभव अपने विवेक से ही प्रश्नों के उत्तर लिखने के प्रयास हो| मैं नक़ल नहीं करूंगा - 'ऐसे संकल्प के साथ परीक्षा दे|' कुछ छात्र और परिजन भययुक्त भी होते है| लेकिन शांति व्यवस्था और कदाचार मुक्त परीक्षा को लेकर छात्रों के चेहरे पर संतोष का भाव भी होता  है| तो कई तरह की काना-फुसी अफवाहों से कुछ विद्यार्थियों के चेहरे पर भय की लकीर भी| परंतु हताश और डरने की आवश्यकता नहीं|अवांछित गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए प्रशासन है| विद्यार्थोयों को भयमुक्त होकर परीक्षा देना चाहिए| परीक्षा में किसी प्रकार की बाधाएं नहीं हो, इस कारण प्रशासन की ठाठ-बाठ होगी और विगत कुछ वर्षो से है| विद्यार्थी हित के प्रति शासन-प्रशासन पूर्णतः जवाबदेही रहेगी| परीक्षार्थियों के परिजनों को भी सावधानी बरतने की आवश्यकता हैं| परिजनों को प्रशासनिक व्यवस्था में पूर्ण सहयोग करना चाहिए| समय पर अपने बच्चों को परीक्षा केंद्र पहुंचाए| यातायात के नियमों का पालन करें| बच्चों से नकारात्मक सवाल ना करें| बच्चो को खुशी और शांति का वातावरण दें,ताकि वो आनंदित रहे| उन्हें परिक्षा के प्रति उत्साहित करें| उनमें परिक्षा को लेकर उत्पन्न अपवाहो को दुर करने का प्रयास करे| परीक्षार्थी भी परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र को कम से कम तीन बार सावधानी से पढ़े| पहले उपस्थित प्रश्न का उत्तर ना देकर,आपको सटीक याद है उसी प्रश्न का  उत्तर दे| आसपास के ताक-झांक से बचें| किसी प्रकार की नकल ना करें| अवांछित सामग्री जैसे-मोबाइल,संगणक और विशेषत: कागज के किसी प्रकार के टुकड़ा अपने पास ना रखें, जिससे आप पर संदेह किया जा सके| अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर दें| यथासंभव अपने शब्दों में जवाब दें| छोटे और शुद्ध वाक्य लिखें| परीक्षा केंद्र में जाने से पूर्व आवश्यक सामग्री प्रवेश पत्र, कलम, आदि साथ रखें| व्यवस्था के अनुरुप व्यवहार करें| आज से एक विजन कि तरह परीक्षा में जुट जाये|
                               

रविवार, 13 जनवरी 2019

मैं मासूम छोरी, वो स्मार्ट छोरा -रश्मि मलिक

-रश्मि मलिक

मैं उ.प. वाली जाटणी,
वो हरियाणा का जाट।
मैं मज़ाक करी थी 
वो सीरियस ले बैठा बात 

मैं मासूम छोरी
वो थोड़ा ज्यादा स्मार्ट ।
मैं रिस्ता लाने की कह दी ,
वो घर ले आया बारात ।।

मैं थोड़ा ज्यादा स्मार्ट ,
वो पागलो का महाराज ।
मेरे शब्दों में खटास ,
वो बनाता प्यार वाली बात ।।

मैं क्यूटनेस की दुकान 
उसे हैंडसम कहते उसके यार ।
मैं सुनी एक कोनी ,
वो दिल की कह गया हर बात ।।

मैं उ.प. वाली जाटणी,
वो हरियाणा का जाट ।
बनरा था स्मार्ट ,
मै ना आई उसके हाथ ।।

-रश्मि मलिक

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

वर्फ वाली मछली खा रहे है तो हो जाए सावधान - जितेश सिंह


मछली को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए केमिकल लगाकर वर्फ में रखा जाता है| लेकिन आज जो वर्फ वाले मछली हम खा रहे है वह कैंसर जैसे बीमारी का कारण बन सकते है| इसका कारण है कि मछली को ज्यादा लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उसमे फर्मलीन जैसे खतरनाक केमिकल की आवश्यकता से अधिक मात्रा इस्लेमाल में लायी जा रही है| जिससे कैंसर जैसी खरतनाक बीमारी होने कि संभावना बढ़ जाती है| ज्यादातर इस प्रकार की रासायनिक लेप युक्त मछली आंध्र प्रदेश से आयातित हो रही है| सूत्रों की माने तो बिहार सरकार इस प्रकार की मछलियों पर रोक लगाने को लेकर गंभीर है| अभी आंध्र प्रदेश से 500 मीट्रिक टन मछलियां रोज बिहार आ रही है| ऐसे में अगर मछली की मांग को देखा जाये तो आंध्र प्रदेश की मछलियों पर रोक लगाने से मछली के दाम में 50 से 70 रुपये प्रति किलो का उछाल हो सकता है| बिहार; आज की स्थिति में 1608 मीट्रिक टन मछली ही उत्पादन करने की क्षमता रखता है और खपत बहुत अधिक है| ऐसे में मछली खाने वाले के लिए पॉकेट और गर्म हो सकती है| 

इधर बिहार में मछली पालन के लिए भी सरकार काफी प्रयासरत है| केंद्र सरकार और राज्य सरकार  मछली पालको के लिए प्रशिक्षण और अनुदान दे रही है| आसानी से ऋण मछली पालको को उपलब्ध कराया जा रहा है| इससे आने वाले समय में बिहार में मछली उत्पादन 500- 700 मीट्रिक टन और बढ़ने की संभावना है| देखा जाए तो बिहार
में| मछली उत्पादन के प्रति लोगों की रूचि खासा अधिक रही है| एक समय था कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में मछली पालन का जूनून इतना था कि लोग अपने घर के आँगन और दुआर को खोदवा कर पोखर बना लिए थे| मछली को बिहार में मैथली ब्राह्मण भी बड़े चाव से खाया करते है| मांसाहारी आहार में मछली सर्वाधिक लोकप्रिय है| लोग मछली खाना, मुर्गा और बकरी के मांस से ज्यादा बेहतर और अच्छा मानते है| मछली प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत भी है|

जितेश सिंह


शनिवार, 5 जनवरी 2019

इश्क में हर बाजी में इक्का है, फिर भी हर कोई हार जाता है; इस घोटाले की जाँच हो - जितेश सिंह

आज बहुत दिन बाद उसे देखा और देखते रहा|  बहुत से पुराने ख्याल का
बवंडर सुनामी की तरह शरीर में हलचल मचा रही थी| फिर भी मेरी सहिष्णुता ही थी जो मुझे अडिग शांत की हुई थी| शायद उसके मिलाने की खिलखिल्लाहट से ज्यादा प्रबल मेरी शांति थी| शायद अब बड़े हो गए है; नहीं तो अंदर जो तूफान है उसके बारे में क्या बताऊ? इतना ही बताऊँगा 'दिल तो अभी बच्चा है', मैं तो सायना हूँ ना| 18-19 साल की उम्र में दिल की सब बात मान लिया जाये ये जरुरी तो नहीं है लेकिन मैं दिल की सब बात सुनाता जरूर हूँ| कोई व्यावसायिक की तरह जब कैरियर और तुझमे प्रॉफिट-लॉस की दूरगामी परिणाम को खोजता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है, मैं आज सच्चा खरीदा हूँ तेरी मुहब्बत का| लोग तो ऐसा ही समझते है पर मैं जनता हूँ; इश्क के मार्केट में मैं इक्लौता व्यापारी
जो मुफ़त में दिल और दिमाग दोनों को बेंचते  है| बाहर की हंसी, तेरे बिना जीना, कुछ ऐसा ही है; जैसे कृत्रिम फूलों के गमले, दिखते फूल की तरह पर फूल नहींं होते हैै| कोई नई बात तो मैंने नहीं की ना, सभी की आवश्यकता ही आज-कल वही है 'कपड़ा, गाड़ी और बंगला'। शायद हंसी, प्रेम और जिंदगी होती तो मैं भीं यह गाना गुनगुनाता 'मैं तुझको उठा लाऊंगा, तेरे घर से|' बेमतलब के इश्क में हर बाजी में इक्का है फिर भी हर कोई हार जाता है| इस घोटाले की जाँच हो!
हाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहा   
         

गुरुवार, 3 जनवरी 2019

राहुल गाँधी ने राफेल पर, जनता से विश्वासघात किया है - जितेश सिंह

राहुल गाँधी पहले चिल्लाते रहते थे- "एक दिन में सुप्रीम कोर्ट यह प्रमाणित कर देगा कि राफेल में गड़बड़ी हुई है|" जब कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले कहा कि राफेल लड़ाकू विमान के खरीद में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है| इसके बाबजूद राहुल गाँधी थमने का नाम नहीं ले रहे है| राहुल गाँधी पहले से ही देश की जनता को गुमराह कर रहे थे| सुप्रीम कोर्ट में मामला नहीं था, तब राहुल गाँधी अपने प्रत्येक सभा और भाषण में जोर देकर चिल्लाते थे "मैं साबित कर दूंगा; राफेल में घोटाला हुआ है|" ठीक वैसे ही जैसे मार्क्स कहा करते थे "किसी झूठ को सच करना है, तो उसे बार-बार और जोर-जोर से बोलो|" राहुल गाँधी भी कुछ इस तरह के फोर्मुला अपना रहे थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया| देश की जनता समझ गई राहुल कितने झूठे और ### नेता है| 

राहुल गाँधी ने जिस तरह देश के रक्षा सौंदा के साथ बेहूदा मजाक किया है; अपने राजनीति उल्लू सीधा करने के लिए बहुत ही क्षुब्ध है| राहुल गाँधी ने 27 जुलाई, 2018, शनिवार को दिल्ली में आयोजित प्रेसवार्ता में मोदी और सीतारमण पर घोटाले का आरोप लगाया गया था| जिस प्रेसवार्ता में राहुल ने अंबानी पर 1 लाख करोड़ के
घोटाले के आरोप लगाए थे और राफेल सौदे को 'ग्रैंड मदर ऑफ़ ऑल द करप्शन' बताया| इसके साथ ही रक्षामंत्री सीतारमण पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया था| इसके बाद से राहुल जहां गये राफेल सौद को लेकर मोदी-अंबानी पर निशाना साधते रहे| चाहे वो दिल्ली में हो, पिकनिक पर विदेश में हो। हाल में ही बीते 5 राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान राफेल-राफेल-राफेल, मोदी-मोदी-मोदी करना नहीं भूले| 22 सितम्बर, 2018, शनिवार को कोंग्रस मुख्यालय में विशेष रूप से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री को चोर और भ्र्ष्ट घोषित कर दिया| राहुल गाँधी यही चुप नहीं बैठे; राफेल सौदे को लेकर मोदी और अंबानी का विरोध करते हुए बोले "भारतीय रक्षा बलों का मोदी और अंबानी ने 130,000 करोड़ रूपए की सर्जिकल स्ट्राइक की है|"   
25 सितम्बर,2018 को राहुल गाँधी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी गए तो वहां भी राफेल को मुद्दा बनाया| मोदी पर निशाना साधा| हाँ उन्होंने ने राफेल सौदे में अंबानी पर 30 हजार करोड़ के घोटाले के आरोप लगाए थे; जो 27 जुलाई, 2018 वाले आकड़े से 70 हजार करोड़ कम और 22 सितम्बर,2018 वाले आकड़े से 1 लाख करोड़ कम थे| इसके एक दिन बाद 26 सितम्बर,2018 को राफेल डील पर वायुसेना के उप प्रमुख ने एक निजी चैनल
के साक्षात्कार में बताया कि "मेरा मानना है कि लोगों को गलत जानकारी दी जा रही है, ऐसा कुछ नहीं है कि एक पक्ष को 30,000 करोड़ रुपये जा रहे है|" लेकिन राहुल गाँधी दोनों कान बंद किये हुए राफेल-राफेल और मोदी-मोदी जपते रहे| इसी बीच ज्योतिरादित्य भी अपने तीन दिवसीय चुनावी दौरे में शिवपुरी पहुंचे जहाँ सिंधिया ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा "राफेल डील में राष्ट्र के साथ प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने विश्वासघात किया है|" इसके बाद राहुल गाँधी जयपुर में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से कहा कि वे राफेल सौदे में भ्रष्टाचार को गाँव-गाँव तक लेकर जाएं और लोगों के सामने केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करें| जब की 26 सितम्बर,2018 को फ़्रांस के राष्टपति मैक्रों ने कहा कि 'सरकार से सरकार' के बीच हुई थी राफेल डील और राफेल सौदे को लेकर मोदी की तारीफे की| उन्होंने कहा कि 'मेरा मानना है कि यह सौदा सामरिक दृष्टि से बेहद मत्वपूर्ण है| 
एक देहाती कहावत है "जमाना एक तरफ, जोरू का भाई एक तरफ|" राहुल भी राफेल सौदे पर जो रट पकड़ी उसे छोड़ने का नाम ही नहीं लेते है| जैसे की उन्होंने कहा था " सुप्रीम कोर्ट एक दिन में राफेल सौदे में भष्टचार को पकड़ लेगा| जब कि इसके विपरीत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क़ानूनी दायरे में रहते हुए राफेल लड़ाकू विमान का सौदा हुआ है, इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है|" राहुल गाँधी को कौन समझाये; आखिर वो किसकी बात सुनते है? राफेल पर प्रधानमंत्री मोदी, रक्षामंत्री सीतारमण, वित्तमंत्री अरुण जेटली, कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद, देश के वायु सेना प्रमुख, एचएएल कंपनी, दसाल्ट के सीईओ और अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि राफेल सौदे में कोई घोटाला नहीं हुआ है| इसके बाद भी राहुल गाँधी अपने बेतुके बात पर डेट हुए है तो उन्हें जवाब देना होगा कि जब घोटाले की जानकारी है उनके पास, तो सुप्रीम कोर्ट को क्यों नहीं सौपी? 
इसके साफ़ है राहुल गाँधी ने राफेल पर देश की जनता के साथ विश्वासघात किया है| राफेल सौदे में अकारण बाधा उत्पन्न इसलिए की ताकि चुनावी मुद्दा बनाकर; केंद्र सरकार को घेर सके| 
राहुल गांधी राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बवजुद झूठी अफवाह फ़ैला रहे है| जेपीसी जाँच की मांग कर रहे है; उससे पहले राहुल गाँधी बताये की अब तक हुए 5 जेपीसी के क्या परिणाम निकले है? उनको पता होना चाहिए की उन्हीं के सरकार में देश में 5 बार जेपीसी का सदन में गठन किया गया| जिसके परिणाम नहीं निकले क्यों? 
जेपीसी यानी जॉइंट पार्लियामेंटरी कमिटी| यह 30 सदस्य की कमिटी होती है, जिसमें सभी दलों के सदस्यों के अनुपात में 30 सदस्य को मनोनीत किया जाता है| जो कुछ महीने तक विषय की जाँच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सदन में सौपते है| अब तक सदन में 5 बार जेपीसी लाया गया है जिसके कोई परिणाम नहीं निकले है| ऐसे में राहुल गाँधी सिर्फ समय बर्बाद कर डील को रद्द करवाने की मंशा के काम कर रहे है| देश की सुरक्षा के साथ राजनीति कर रहे है| जो किसी की परिस्थिति में निंदनीय है| 
सदन के कब-कब लाये गये जेपीसी-  
1. बोफोर्स तोप सौदे की जांच : 1987 में जेपीसी का गठन किया गया। बाद में रिपोर्ट तैयार होने से पहले ही विपक्ष ने इसका बॉयकॉट कर दिया।
2. हर्षद मेहता स्टाक मार्केट घोटाला : 1992 में जेपीसी का गठन। इस जेपीसी की सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो सकीं।
3. केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला : 2001 में जेपीसी का गठन। इस जेपीसी ने स्टॉक मार्केट रेगुलेशन में बदलाव की सिफारिश की।
4. सॉफ्ट ड्रिंक पेस्टिसाइड मामला : 2003 में जेपीसी का गठन किया गया।
5. टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला : 2011 में जेपीसी का गठन। 30 सदस्यों वाली इस कमिटी को लेकर फिलहाल विवाद चल रहा है।
6. वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला : इस मामले पर भी जेपीसी के गठन पर तैयारी चल रही है।

संदर्भ :- सुबह सवेरे, नया इंडिया, सत्ता सुधार, लोकदेश खबर, राष्ट्रीय हिन्दी मेल, 

जितेश सिंह

कांग्रेस की निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में भारी गिरावट के पूर्वानुमान

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