बुधवार, 31 अक्तूबर 2018

गंगा


  युगो-युगो से वेदों ने जिसका गान किया,                          

  मुनियों ने जिसको सुमिरन बारंबार किया।

  पुराणों ने जिसकी गाथा का गुण गान किया,
  शिव जटा समाई देवताओं ने गंगा नाम दिया।।

  भारत के इतिहास ने जिसको मां कह कर पुकारा है ,
  पुत्र भीष्म ने  महाभारत में भगवान को ललकारा है।
  जिसकी धारा को सहस्त्रबाहु ना रोक पाया है,
  उस गंगा को कलयुग में प्रदूषण युक्त बनाया है।।

  गंगा ने विदेशों में भारत का मान बढ़ाया है ,
  गंगा की गाथा को आद्य शंकराचार्य ने गाया है।
  भारत माता के बेटों की प्यास बुझाई है,
  गंगा किनारे बैठ ऋषियो ने सिद्धि पाई है।।

  मृतको की मुक्ति का मार्ग भी गंगा है,
  जिसका मन चंगा तो कठौती में गंगा है।
  दुनिया में भटकर मनुष्य ने क्या पाया है,
  दुनिया की ठोकर खा  चरणों में अाया है।।

  भगीरथ की तपस्या का मान हो तुम,
  विष्णु के चरणों का सम्मान हो तुम।
  कवियो की गाथाओं का गान हो तुम,
  भारतीय की आन-बान-शान हो तुम।।

  भारतीयों ने कलियुग का असर दिखाया है,
  चमडा,नाली गंदा पानी तुझमे बहाया हैं।
  इस कृत्य पर कोई नेता न शर्माया है,
  तेरे नाम पर उसने करोड़ों रूपये कमाया है।।

  उद्योग नाम पर तुझको बार-बार गंदा किया,
  सफाई के नाम पर नेताओं ने धंधा किया ।
  तुम्हारे ही नाम पर जनता से चंदा लिया,
   20हजार करोड़ का मंत्रालय बना दिया।।

  घर-घर जाकर हम एक अलख जगाए,
  माँ गंगा की सफाई का संकल्प दिलाए।
  जाति-धर्म का चोला छोड़कर उपर आए,
  जल ही जीवन है,इस मंत्र का भान कराए।।

  सबकुछ लिखना बोलना बंद करे,
  गुंगे-बहरो से आस लगाना बंद करे।
  त्वदीय पाद पंकजम्,नमामी देवी गंगे का गान करे,
  हाथों में झाडू लेकर सवा अरब आगाज करे।।

 
  पंडित दीपक द्विवेदी
  दूरभाष नं-9111127531
  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता
  एवं संचार विश्वविद्यालय
  एम.ए(एम़ सी) तृतीय सेमेस्टर
  भोपाल(मध्यप्रदेश)

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