मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

अटल बिहारी वाजपेयी के नक्शे कदम पर मोदी. जितेश सिंह

बात 1996 के लोकसभा चुनाव की है.
वाजपेयी जी लखनऊ के विशाल मैदान में चुनावी भाषण दे रहे थे. अचानक पास की मस्जिद से अजान की आवाज सुनकर, उन्होंने अपना भाषण रोक दिया. लोग चकित
हो उठे . अजान पूरी होने के साथ ही एक
बार फिर उनका वैचारिक प्रभाव अविरल ओजस्विता के साथ गुंजने लगा. तब देश के संप्रदायिक राजनीति से खिलाफत करने वाले, महान राजनेता अटल जी को विरोधियों ने, सांप्रदायिकता के दुष्परिणाम में घसीटने की कोशिश की. उस दौर में जनता जनार्दन ने इसका करारा जवाब दिया. सैकड़ों मुस्लिम महिला सन् 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के जीत के लिए, अपनी दाहिनी भुजा पर इमान-जमीन अर्थात पवित्र ताबिज बांधकर प्रार्थना की.
मोदी जी के भी गुजरात और बंगाल की चुनावी रैलियों एेसा देखा गया. तो क्या अटल जी का अनुसरण कर रहे हैं मोदी?
गुजरात के नवसारी में एक चुनावी भाषण के दौरान पास के मस्जिद से अजान की आवाज सुनकर, मोदी ने अपने भाषण को रोक दिया. जिससे जनता चकित रह गई. अजान खत्म होने पर पुन: भाषण शुरू किये. 2016 पश्चिम बंगाल खड़गपुर में भी एक चुनावी भाषण के दौरान अजान की आवाज सुनकर, मोदी जी भाषण को रोक दिया. यही नही! इस साल जब वर्मा की यात्रा पर गए, तो भारत के अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर चादर चढ़ाई. इसी वर्ष अहमदाबाद के एक पुराणे मकबरा में, जापान के प्रधानमंत्री के ले गए. मुस्लिमों के लिए कई क्रांतिकारी पहल मोदी सरकार ने की है. तीन तलाक, शिक्षा, रोजगार, मुस्लिम महिलाओं के आत्मसम्मान,आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास, जैसे कई कल्याणकारी कानून बनाये गये. हज यात्रा के लिए सरकारी ने सब्सिडी 4000 से बढ़ाकर 15000 कर दी. 45 वर्ष से अधिक उम्र के मुस्लिम महिलाओं के लिए हज यात्रा के लिए विशेष प्रावधान लागू की. वर्तमान के 3 साल से अधिक के कार्यकाल में पूरे भारत में एक भी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए. फिर भी कुछ नेता राजनीतिक लाभ के लिए भारत को असहिष्णुता का जामा पहना रहे.        
      जितेश सिंह                                    
                                                 
                                             
                                             





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