माँ अपने साथ बसंत लाती है।
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माँ के आगमन की आहट मात्र से
नीरसता में सरसता।
उदासी में मुस्कराहट।
कलियों में खिलखिलाहट
और स्पंदनहीन में
सुगबुगाहट आ जाती है।
कोयल की कूक सुषुप्त हृदय को
झकझोरकर जगाती है।
आम्रकुंज में मंजरी की मादकता से
भ्रमर का पग डग-मग होने लगता है
और वह खुमार में
ज़मीन पर लुढ़क जाता है।
लोग कहते हैं-
बसंत आ गया।
बसंत आ गया।
पर जब तक माँ नही आएगी
बसंत कहाँ से आएगा !
माँ आती है और अपने साथ
ज्ञान और चेतना का बसंत लाती है।
माँ पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
- गणिनाथ सहनी, रेवा
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