अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में । छात्रों के द्वारा इस विराट प्रदर्शन में देखा गया ।
परंतु प्रदर्शन के दौरान इन सब बातों पर ध्यान नहीं दिया गया । जबकि छात्र प्रदर्शन के ये मुख्य बिंदु हैं ।
जब तक कोई प्रदर्शन का उद्देश्य सफल नहीं होता । तब तक प्रदर्शनकर्ता का मनोबल हिमालय के शिखर के समान होना चाहिए । लेकिन इस प्रदर्शन में कुछ छात्रों को । प्रदर्शन अधूरा छोड़ कर घर जाने की जल्दी थी । उन्हें अज्ञात होना चाहिए । 1 दिन अगर घर लेट से जाएंगे , तो आने वाले लाखों दिन का भविष्य बच सकता है । ये उनके स्वार्थ की ही बातें हैं ।
क्षमा कीजिएगा ! मेरा उद्देश्य किसी को दुख पहुंचाना नहीं है । मैं उन सभी लोगों का स्वागत करता हूं । जो लोग इस प्रदर्शन में उपस्थित हुए ।
आप टिप्पणी जरूर करे । अपने विचार को भी प्रकट करे । नमस्कार !
जितेश सिंह
कुछ ही छात्र छात्राएं सक्रिय रुप से इसमें भूमिका निभा रहे थे। जबकि विश्वविद्यालय के सभी छात्र छात्राओं को । इस शैक्षणिक परिसर के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करना चाहिए । शैक्षणिक परिसर छात्र-छात्राओं के लिए मंदिर के समान होता है । शिक्षा और विद्यालय के प्रति प्रदर्शन भजन के समान होता है । इस प्रदर्शन रूपी भजन में । सभी छात्रों की सहभागिता आवश्यक है । इस विरोध के दौरान जो नारे बोले गए । उसमें भी परिवर्तन की आवश्यकता है । क्योंकि हम एक विद्यार्थी हैं ?अतः हमें कुछ बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है ।
हमारे हौंसले इतने बुलंद है । कि हमें इन राजनीतिक नारों की आवश्यकता नहीं । एकजुटता हम छात्रों की पहचान है ।परंतु प्रदर्शन के दौरान इन सब बातों पर ध्यान नहीं दिया गया । जबकि छात्र प्रदर्शन के ये मुख्य बिंदु हैं ।
जब तक कोई प्रदर्शन का उद्देश्य सफल नहीं होता । तब तक प्रदर्शनकर्ता का मनोबल हिमालय के शिखर के समान होना चाहिए । लेकिन इस प्रदर्शन में कुछ छात्रों को । प्रदर्शन अधूरा छोड़ कर घर जाने की जल्दी थी । उन्हें अज्ञात होना चाहिए । 1 दिन अगर घर लेट से जाएंगे , तो आने वाले लाखों दिन का भविष्य बच सकता है । ये उनके स्वार्थ की ही बातें हैं ।
क्षमा कीजिएगा ! मेरा उद्देश्य किसी को दुख पहुंचाना नहीं है । मैं उन सभी लोगों का स्वागत करता हूं । जो लोग इस प्रदर्शन में उपस्थित हुए ।
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जितेश सिंह
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