जब शंखनाद हुआ भारत भू पर,
वीर आंखों की अग्नि से ,
वीर आंखों की अग्नि से ,
भस्म हो गई अंग्रेजी शासन.
भारत माता गौरवान्वित हुई
ऐसे वीर पुत्रों को पाकर
दुर्भाग्य से पवित्र माता के आंचल पर
राजनीति के बीज बोए गए
राजनीति के बीज बोए गए
गरीबी, भ्रष्टाचार और आतंकवाद
जैसे- दुष्ट पहिए ने संपूर्ण
भारत को कुचल डाला.
चारों ओर निराशा थी
भारत को कुचल डाला.
चारों ओर निराशा थी
भय था तो आक्रोश भी था
संपूर्ण क्रांति का नारा दिया,
जब लोकनायक ने हुंकार भरो
थर्रा गई सारी भ्रष्ट कुर्सीया
राजनीति ने दांव पेच खेले
आपातकाल नामक पहिए ने
जब राष्ट्रवाद को कुचलना शुरू किया
वो कुचल ना सके अटल जी को
सुशासन का रथ निकला
वर्षों से प्यासी धरती को
मानो जैसे अमृत मिला
विकास पथ पर बढा़ भारत
परमाणु परीक्षण कर
बन गये हम शक्तिमान
कूटनीतिज्ञ चाल को
समझ ना सकी
समझ ना सकी
भारत की जनता
10 वर्षों का मौनवास हुआ
भ्रष्टाचार और आतंकवाद ने
बदल डाले सारे आकड़े
दुष्ट शत्रुओं की छाया
भारत पर मडरा रही
लेकिन!
लेकिन!
पुनः सूर्योदय हुआ!
सशक्त और संगठित भारत,
विकास पथ अग्रेसित
विकास पथ अग्रेसित
अब वक्त तय करेगी,
हम परखेंगे,
कितने वादे, कितने सफल..
हम परखेंगे,
कितने वादे, कितने सफल..
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