मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

संचार के प्रभावी सिद्धांत!

संचार विशेषज्ञ और फ्रांसीसी नागरिक बर्जेट ने संचार को प्रभावी बनाने के लिए 7 सी सिद्धांत की अवधारणा पेश की. और कहा कि इसका उपयोग का संचारकर्ता अपनी बात बड़ी आसानी से प्राप्तकर्ता के मस्तक में पहुंचा सकता है. उनके अनुसार एक संचारकर्ता के पास इस प्रकार के गुण होने चाहिए-
 1. स्पष्टता (clasity)
2. संदर्भ (Context)
3. निरंतरता (continuity)
4. विश्वसनीयत (credibility)
5. विषय वस्तु (content) 
6. माध्यम (channel)
7. पूर्णत (completeness) 
1. स्पष्टता- वही संदेश प्राप्तकर्ता को आसानी से समझ आता है. जो स्पष्ट हो, इससिए संदेश को सरल और यथाशक्ति समान्य शब्दों में तैयार करना चाहिए. उलझाने और उलझाव या मुहावरे युक्त संदेशों को प्राप्तकर्ता अनदेखा कर देते हैं.

2. संदर्भ- बिना संदर्भ के कोई भी संदेश अधूरा है. संदर्भ से संदेश की विश्वसनीयता बढ़ जाती है. संदर्भ से संदेश में गलती होने की संभावना कम होती है. क्योंकि आपका संदेश संदर्भ के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है. यही कारण है कि गलती नहीं होती और होती भी है तो पकड़ में आ जाती है. संदर्भ के कारण संबंधित प्राप्तकर्ता की भागीदारी या सहभागिता बढ़ जाती है.

3. निरंतरता- संचार एक अनवरत प्रक्रिया है. संदेश में एक साथ कई तथ्यों के समावेश होने की स्थिति में निरंतरता का होना आवश्यक है. इसका मतलब मुख्य तथ्य के बाद संदर्भ में क्रमश: कम महत्वपूर्ण, उससे कम महत्वपूर्ण ,सबसे कम महत्वपूर्ण, और अंत में बिना महत्व के संदेश से है. आदर्श संदेश वह होता है. जिसमें महत्वपूर्ण तत्व की पूर्णवृत्ति या दोहराव होती है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है अगर पहले बार में प्राप्तकर्ता संदेश के अर्थ को किसी वजह से समझ नहीं पाता. तो निरंतर दोहराव से तीसरी बार में जरूर समझ लेता है.

4. विश्वसनीयता- संचार का मूल आधार विश्वास है. जो संचारकर्ता की नियत पर निर्भर करता है. संदेश में विश्वसनीय होने का प्राप्तकर्ता के मन में संचारकर्ता की अच्छी छवि बनती है. एक समय ऐसा भी आता है. जब संचारकर्ता से प्राप्तकर्ता संदेश को प्राप्त कर, उसे अपने परिचय में फैलाता है. विश्वास पर खरा नहीं उतरने वाले संदेश को प्राप्तकर्ता जल्द ही नजर अंदाज कर देते हैं. 

5. विषय-वस्तु- संदेश किस से भेजा जाए या प्राप्तकर्ता की रूची पर निर्भर करता है. इसी के अनुसार संदेश के विषय वस्तु भी तैयार करनी पड़ती है. संदेश प्राप्त करने वाले की उम्र, शिक्षा, भौगोलिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, सामाजिक स्तर, और रुचि के विषय जैसे कला,संस्कृत, आदि के अनुरूप संदेश को तैयार करना चाहिए. विषय वस्तु अगर रोचक, सूचनापद्र और ज्ञान वर्धन हो तो, प्राप्तकर्ता उसी तरह की और संदेशों की अपेक्षा रखता है.
6. माध्यम की भूमिका इसी लिए महत्व होती है. क्योंकि परिस्थिति, प्राप्तकर्ता और संदर्भ की प्रकृति एवं विषय वस्तु के माध्यम का प्रभावशीलता घटती बढ़ती रहती है. उदाहरण के लिए अगर किसी को ए प्लस ग्रुप का खून तुरंत चाहिए तो, संदेश का माध्यम समाचार और पत्र और टेलीविजन ना होकर सोशल मीडिया या इंटरनेट या इसके उपलब्ध प्लेटफार्म हो   जैसे ह्वाटएेप, फेसबुक इत्यादि और मोबाइल प्लेटफार्म जैसे एस.एम.एस हो तो संदेश को प्रभावशाली तरीके से बहुत व्यापक समूह में पहुंचाया जा सकता है. इसी तरह किसी धार्मिक आयोजन याद हादसे की सूचना तत्काल देने हो तो माध्यम का चुनाव ऐसा होना चाहिए ताकि प्राप्तकर्ता तक तुरंत संदेश पहुंच जाये. सरकारी कार्यक्रम हो या किसी दिलचस्प विषय-वस्तु से जुड़ी सूचना कोई सूचना हमें प्राप्तकर्ता तक बाते जल्द पहुंचाने में प्राप्तकर्ता की पहुंचने के लिए ऐसा माध्यम चुनना चाहिए, जो लोकप्रिय हैं.

7. पूर्णता- प्रभावी संचार के संदेश का पूर्ण होना जरूरी है. संदेश अपूर्ण हो तो प्राप्तकर्ता को संतुष्टि नहीं होगा. परंतु संदेश पूर्ण होने पर प्राप्त करता को आत्मसंतुष्टि होती है. अतः संदेश का पूरा होना आवश्यक है, नहीं तो आपका संचार अधुरा रह जायेगा और आपके संसार को प्राप्तकर्ता अवहेलना करेंगे.

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