गुरुवार, 25 जनवरी 2018

माता पद्मावती को समर्पित कविता- जितेश राजपूत

लोक आस्था जन कल्याण का,            
आओ मिलकर उत्सव मनाएं!

आत्मा कहीं कैद ना हो जाए,
अभिव्यक्ति का स्वर,
देशद्रोह ना हो जाए|
इससे पहले अपना दायित्व निभाए,
आओ मिलकर उत्सव मनाएं!

असहिष्णु और अवार्ड वापसी
 कैसे चढ़ रही लोकतंत्र की बलि?
हम सब मिलकर विचार करें,
आओ मिलकर उत्सव मनाया!

पद्मावती के सम्मान पर,
मंडरा रही काली छाया 
आओ मिलकर उत्सव मनाएं! 

अपराधी संरक्षण उपाय,
मातृ रक्षक कैद हुआ है 
आओ मिलकर उत्सव मनाएं!

भारत क्यु दहक रहा है?
 पक्षपाती है न्यायपालिका!
आओ मिलकर उत्सव मनाएं
  
                                     जितेश हिन्दू

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