समर भूमि में कूद पड़ा हूं!
तलवार से क्रांति करने को|
आज!
फिर एक सैनिक शहीद पड़ा है,
मां भारती के गोद में
चंदन! तुम्हे वीरगति मिली
अमर रहोगे समर भूमी में|
विपत्ति के इस धड़ी में,
दुख तो है, आक्रोश भी है!
अब उचित न्याय और
उचित प्रक्रिया स्वयं हमें अपनाना है|
रक्त गिरा है जहां तुम्हारा,
नदिया वही बहाना है|
खून का बदला खून से लेंगे,
तलवारे निकालो म्यान से|
देखु!
युद्ध भूमि में सिंह गर्जना को,
कौन-कौन तैयार खडा़ है?
- जितेश हिन्दू
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