रविवार, 11 फ़रवरी 2018

ये हत्या नहीं जवानों की, लोकतंत्र की हत्या है! - दीपक द्विवेदी

ये हत्या नहीं जवानों की,               
लोकतंत्र की हत्या है।
ये सत्तर साल की बीती,
आजादी की हत्या है।

ये पचीस नहीं एक सौ पचीस, 
करोड़ की हत्या है।
भारत माँ के आँचल में,
पलते बच्चों की हत्या है।।

हम अपने घर के गद्दारों को 
मात नहीं देते है।
इनको इनकी हरकतों पर 
लात नहीं देते है।

हम कैसे लड़ेगे चीन और पाक
 के गद्दारों से ?
चूँकि हमारे नेता सैनिकों का 
साथ नहीं देते है।।

नेताओं ने चुप्पी साधी, 
ये कैसा परिवर्तन है।
फेसबुक और ट्वीटर पर 
करते आवर्तन है।

हम जिस दिन नेताओं को छोड़कर,
सैनिकों के साथ हो जाएंगे,
उस दिन नक्सली क्या ?
पाक -चीन भी हमसे थर्राएंगे।।

                        ---दीपक द्विवेदी---

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