हिन्दू संगठित रहे, एक साथ रहे, अपने निजी मंतव्य भावना को तिलांजलि देकर भारत माता की आराधना करने
के लिए प्रतिबद्ध हो|
हिन्दू समाज को एकमय करना, एकरूपी बनाना बड़ा ही कठिन कार्य हैं|
1925 में डॉक्टर
केशव बलिराम हेडगवार ने एक ऐसी संघ का निर्माण किया था| जो बीते
लगभग 92वर्षों में हिन्दू समाज को जाति, भाषा, पंथ, समुदाय, क्षेत्रीयता, हजारों
भिन्नताओं के बावजूद संगठित करने में सफलता पायी है| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत ही नहीं, बल्कि विश्व की सबसे बड़ी संघ है| जो अपने शाखा पद्धति के माध्यम से समाज में हर एक तबके को (बच्चे, युवा और बुजुर्ग) प्रशिक्षित करती, वे भिन्न-भिन्न माध्यमों में कार्यरत
रहते हुए देश और समाज को जोड़ने, देश
के अनुकूल कार्य करने के लिए कटिबद्ध है|
हिन्दू कौन यह सिद्धांत को समझना होगा? वैसे तो भारत में उदय हुआ, किसी भी संप्रदाय के लोग हिन्दू ही है| उन्होंने
ने केवल अपनी उपासना पद्धति बदली है| हिंदुत्व को नहीं छोड़ा है| उनके आचरण, रहन - सहन में
कुछ कुरीतियां आ गयी है, इसे
छोड़ कर बाकि अनेकत्व में एकता की संभावना
हैं उसके लिए प्रयासरत रहना पड़ेगा| भारतीय
ज्यादा समय तक किसी कुप्रथा के शिकार नहीं हो सकते है, अंत: उन्हें हिन्दू होना ही पड़ेगा|
तुम गलत हो, हमारा मार्ग सही है, इसके प्रयास को बार- बार दोहराना और घर वापसी ही सर्व कल्याण
है, हमें उन भटके वर्ग को समझाना होगा| वो हमारे विराट हिन्दू परिवार का अंग बने इससे पहले हमें
सशक्त होना है|
जितेश सिंह अ.बि.व.हि.वि.वि., भोपाल |
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