जवाब मेरे सलाह से आपको कुरान शरीफ पढ़ना चाहिए क्यों कि हिन्दू-मुस्लिम विवाद BJP के जन्म से पहले से है। और अधिक भयावह भी, वीभत्स भी।
इस्लाम जबतक अपने मूल ग्रंथ कुरान में परिवर्तन नहीं करता तब तक वह ऐसे ही दुनिया से लड़ता रहेगा, इसलिए इंसानी जिंदगी की कीमत है तो कुरान से वह सब आयतों को हटाया जाये, जो केवल ख़ुदा को मानने वाले को ही जन्नत नशीब होता है यह कहता है और सभी धर्म के भगवान को शैतान मानता है, उनके पुजक को काफ़िर कहता है और इन काफिरों की हत्या से जन्नत नशीब होता है यह मानता है। पहले ऐसे विचार को खत्म करना होगा हमने धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता मानवता और विज्ञानवाद के लिए भी। उन आयतों को बदलने की मांग को जोड़ शोर से बोलना होगा जिसे वसीम रिजवी ने कुछ दिन पहले कहा है?
हम हिन्दूओं की सोच संकीर्ण है या हिन्दू हृदय ऐसा ही रहा अबोध अविवेकी, भविष्यहीन। जो सिर्फ लालच पैसा और मोह में फंसा है, क्या किसी मुस्लिम को देखे है, देश के तरक्की रोजगार शिक्षा के लिए वोट करते? नहीं! वो सिर्फ उनके साथ है, जो उनको अल तकिया जिहाद करने देते है, लव जिहाद करने देते है, लैंड जिहाद करने देते है
हम हिन्दू वास्तविक जानकारी से परे अविवेकी कुतर्क से घेरे है और अपने आप का पीठ थपथपा रहा है कि हम हिन्दू मुस्लिम राजनीति में नहीं पड़ते है बुद्धिजीवी है। हमने देश की तरक्की रोजगार से मतलब है अरे भाई यह देश रहेगा तो मरेगा कौन! और यह देश मिटेगा तो बचेगा कौन! इतनी मामूली सी बात नहीं समझ आती है। आपकी शक्ति क्या है, जिसके बल पर हम वो सब पा सकते है जिसकी हमने जरूरत है, क्या वो केवल शिक्षा है? रोजगार है? बहुत सारे पैसे है? नहीं! वो हमारा देश है। जब तक यह सुरक्षित है, वो सबकुछ हम अपने बलबूते खड़ा कर सकते है, जिसकी हमने कभी कल्पना की थी। इस देश के प्रत्येक हिन्दू को इस राष्ट्र की सुरक्षा किन हाथो में है ऐसे लोगों का पक्षघर बनाता चाहिए। इतिहास में की भूल से सीखकर वतर्मान और भविष्य ठीक करना चाहिए।
लेकिन सिर्फ नौकरी और मंहगाई के नाम जब हम निर्णय लेते हैं? और वर्तमान समस्या को केवल हिन्दू मुस्लिम की राजनीति कहकर पल्ले झड़ते है और बडी बडी बाते छोड़ते है तो इस दशा को देखकर गुस्सा कम और उन हिंदुओं पर तरस अधिक आता है। उनकी भी यह मनोदशा तब तक है जब तक उनके यहाँ मुस्लिम 70 प्रतिशत नहीं होते है, होते ही मेरी बाते यथार्थ और परम् सत्य नजर आएगा। किंतु तब आप कश्मीरी हिन्दू की तरह बहन बेटियों को उनके हवाले छोड़कर भागने या बलिदान होने के अलावे कुछ नहीं कर सकते। यही बात पाकिस्तान के प्रथम कानून मंत्री योगेंद्र मंडल तब नहीं समझे थे और लाखों दलितों को पाकिस्तान में छोड़कर बंगाल में शरण लेकर रहे और गुमनाम मौत को स्वीकार किया। जिन्दगी भर नीम-भीम की, के कारण गुमनाम सजा काटी। किन्तु उनके कारण जो लाखों दलित हिन्दू वहां फंस गए वो आज तक अपनी बहन बेटी को सुरक्षित नहीं कर पा रहे है। उन्ही दलित हिंदुओं में कुछ छिपते छिपाते भारत आये किन्तु यहां भी वह ऐसा ही जीवन व्यतीत कर रहे नागरिकता नहीं होने के कारण कोई सरकारी लाभ नहीं, नौकरी नहीं, उनके बच्चे अशिक्षित है। जब उनकी इस दुर्दशा को दूर करने से लिये किसी राष्ट्रपुरुष का स्वाभिमान जागृत हुआ तो उसने CAA लाया। जिससे किसी को कोई मतबल नहीं है क्यों कि जिसे हम नागरिकता दे रहे है वो पहले है यहां रह रहे है। फिर भी इन दानवी जिहादी प्रवृति के मुस्लिम और कुछ आधुनिकतावादी लोगों को यह बात अपच हो रहा है। ऐसे आधुनिकतावादी हिन्दू पर हमने तरस आता है। हमें मोदी प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक अवसर मिला है इस अवसर को पहचानिए इतिहास केवल परीक्षा पास करने के लिए नहीं अपितु वर्तमान और भविष्य में वह गलती दोहराई न जाये इसके लिए भी पढ़ना चाहिए। मेरी इच्छा तो यही है और कोई योगेंद्र मंडल न बने...
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