झूठ की खेती में
बीज, हल व शरीर का बल नही लगता
और काटने समय तक
उसमें कोई फल नही लगता।
सूर्य सत्य है, नित्य है निकलता
पर चमगादड़ व उल्लू
अंधकार में है पलता
दिन के प्रकाश में,
वो कभी नही निकलता।
बिजली की चमक टिका नही करती
चंदा की दमक फिकी नही पड़ती
सत्य अपने मुक़ाम पर अड़ा रहता है,
परिणाम जो हो वह अविचल खड़ा रहता है।
बीज, हल व शरीर का बल नही लगता
और काटने समय तक
उसमें कोई फल नही लगता।
सूर्य सत्य है, नित्य है निकलता
पर चमगादड़ व उल्लू
अंधकार में है पलता
दिन के प्रकाश में,
वो कभी नही निकलता।
बिजली की चमक टिका नही करती
चंदा की दमक फिकी नही पड़ती
सत्य अपने मुक़ाम पर अड़ा रहता है,
परिणाम जो हो वह अविचल खड़ा रहता है।
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